रांची (ब्यूरो)। रांची में बगैर सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन के चलने वाली गाड़ी के मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई भी हो सकती है। सभी गाड़ी मालिकों को अपनी गाडिय़ों के विंडो स्क्रीन पर फिटनेस सर्टिफिकेट वैलिडिटी के साथ चिपकाने होंगे। हालांकि, फिलहाल इस पर आपत्ति और सुझाव मांगे गए हैं। जल्द ही इसका इंप्लीमेंटेशन किया जाएगा। इंप्लीमेंटेशन होते ही सभी नियमों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश है। दो पहिया वाहनों से लेकर ई-रिक्शा, ऑटो, कार, बस, ट्रक सभी फिटनेस सर्टिफिकेट और रजिस्ट्रेशन चिन्ह चिपकाया जाना है। ई-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, सभी तरह के कार्मशियल वाहन, प्राइवेट व्हीकल और हल्की से भारी गाडिय़ों के विंडो स्क्रीन की लेफ्ट साईड ऊपरी कोने में सर्टिफिकेट चिपकाना है। यह सर्टिफिकेट नीले रंग के बैकग्राउंड पर पीले रंग में प्रदर्शित किया जाएगा। टू व्हीलर के लिए गाड़ी के ऐसे हिस्से में सर्टिफिकेट चिपकाना है जहां यह आसानी से दिख सके। वहीं जिन गाडिय़ों में विंडशील्ड नहीं होगा, उनमें यह सर्टिफिकेट बॉडी पर लगाना होगा, जहां से चेकिंग के दौरान यह आसानी से देखा जा सके।
धडल्ले से चली रहीं अनफिट गाडिय़ां
सिटी में अनफिट गाडिय़ों की भरमार है। इनकी संख्या सैकड़ों में नहीं बल्कि हजारों में है। टू व्हीलर से लेकर ऑटो, ट्रैक्टर समेत अन्य हैवी व्हीकल भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। जो अनफिट हो चुकी हैं। यहां तक कि स्कूलों में चलने वाली कई बसें भी अनफिट हैं। उनके पास फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं है। फिर भी नन्हे बच्चों को इन्हीं गाडिय़ों लाया और पहुंचाया जा रहा है। इन गाडिय़ों की जांच भी कोई नहीं करता है। गाडिय़ों से निकलने वाले काले धुएं शहर की आबोहवा मे जहर घोल रहे हैं। सबसे खराब हालत ऑटो की है। सिटी में अब भी 15 से 20 साल पुराने ऑटो चल रहे हंै। इन ऑटो से काला धुंआ निकलता है, जिससे पीछे आ रहे लोगों को काफी परेशानी होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि गाडिय़ों से निकलने वाले विषैले धुंए इस कदर हवा में जहर घोल रहे हैं कि इनसे अस्थमा जैसी बीमारी का भी डर बना रहता है। सर्टिफिकेट जारी होने के बाद सड़क पर ऐसे वाहनों का चलना मुश्किल होगा। जिससे बढ़ते प्रदूषण स्तर को भी कंट्रोल किया जा सकेगा।