रांची(ब्यूरो)। अब खाद्यान्न पर संकट! जी हां, प्रतिदिन घरों में जो आप रोटी, चावल, दाल खाते हैं उसपर भी अब संकट गहराने वाला है। दरअसल, झारखंड सरकार के नए कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक-2022 के खिलाफ राज्य भर के हजारों व्यवसायियों ने आंदोलन का बिगूल फूंक दिया है। स्टेट के व्यवसायियों के सबसे बड़े संगठन फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर एंड कॉमर्स इंडस्ट्रीज(एफजेसीसीआई) के नेतृत्व में विभिन्न बाजार समितियों समेत तमाम व्यावसायिक संगठनों ने 16 मई से खाद्यान्नों की आवक बंद करने का निर्णय ले लिया है। यह आंदोलन अनिश्चितकालीन हो रहा है, लेकिन चार दिनों के आंदोलन के बाद चैंबर आगे की रणनीति तैयार करेगा। इस अंदोलन को राइस मिल एसोसिएशन, कोल्ड स्टोरेज के मालिक, आटा, आलू तथा प्याज के व्यवसायियों ने भी समर्थन किया है और वे इन खाद्यान्नों की आपूर्ति नहीं करेंगे। जाहिर है इससे आपके गली-मोहल्लों की दुकानों में भी खाद्यान्न का संकट गहरा जाएगा, जिसका असर आप पर पडऩा ही है। बता दें कि चैंबर पिछले एक महीने से इस मुद्दे को लेकर आंदोलनरत है।

पंडरा में रोज 150-200 ट्रक

व्यवसायिक संगठनों के अनुसार, पंडरा कृषि बाजार में विभिन्न राज्यों से रोजाना 150-200 खाद्यान्नों से लदे ट्रक आते हैं, लेकिन चैंबर के आंदोलन के चलते अब ये ट्रक नहीं आ सकेंगे।

इनकी आपूर्ति होगी बंद

चैंबर के आंदोलन से सभी वेरायटी के चावल, विभिन्न दालें, आटा, मैदा, सूजी, बेसन, रिफाइंड खाद्य तेल, सरसों तेल, आलू और प्याज की आपूर्ति प्रभावित होगी।

पहले चल चुके ट्रकों को राहत

हालांकि, इस आंदोलन की वजह से बाजारों में फिलहाल चीजों की एकदम से क्राइसिस नहीं होगी। क्योंकि चैंबर ने आंदोलन से उन ट्रकों को राहत दी है जो 16 मई से पूर्व खाद्यान्न लेकर चल चुके हैं। 16 मई के बाद लोड हुए ट्रकों का माल ही कृषि बाजारों में अनलोड नहीं होगा।

कहां से आता है खाद्यान्न

छत्त्तीसगढ़ से चावल व विभिन्न दालें

बिहार से अरवा व मंसूरी चावल, चूड़ा

यूपी से आटा, मैदा, सूजी, गुड़

एमपी गेहूं व काबली चना

दिल्ली से बासमती चावल

राजस्थान से सरसों तेल, उड़द दाल, मंूग दाल व चना दाल

दक्षिणी राज्यों से सरसों तेल व काबली चना

वेस्ट बंगाल से पाम ऑयल, रिफाइंड खाद्य तेल

उत्त्तराखंड से गुड़

कहां कहां हैं कृषि मंडियां

राज्य के सभी जिलों में एक-एक कृषि बाजार या मंडी है, लेकिन मुख्य रूप से चार जिलों में मंडी है, जो आसपास के जिलों में खाद्यान्नों की आपूर्ति करती है। इनमें रांची का पंडरा कृषि बाजार, जमशेदपुर, धनबाद और रामगढ़ प्रमुख हैं।

आंदोलन क्यों

बता दें कि झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स राज्य सरकार के नए कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक-2022 का विरोध कर रहा है। चैंबर का कहना है कि इस विधेयक के जरिए विभिन्न कृषि उपज पर 1 से 2 प्रतिशत (जल्द नष्ट होनेवाले कृषि उपज पर 1 और अन्य पर 2 दो प्रतिशत)टैक्स लिया जाएगा। झारखंड कृषि प्रधान राज्य नहीं है। ऐसे में अधिकतर खाद्य पदार्थ दूसरे राज्यों से आते हैं। इसलिए इस शुल्क से खाद्यान्न और महंगे हो जाएंगे। इसका सीधा असर खाद्यान्न के व्यवसायी और आम लोगों पर पड़ेगा। इसलिए सरकार इस विधेयक को वापस ले।

13 को चैंबर ने लिया फैसला

झारखंड चैंबर ने 13 मई को ही पंडरा कृषि बाजार में बैठक कर आंदोलन का फैसला ले लिया है। बैठक में चैंबर के पदाधिकारियों के अलावा खाद्यान्न के व्यवसायी शामिल हुए। बैठक में कहा गया कि कोरोना संक्रमण काल में उन्होंने अपनी जान-माल की परवाह किए बगैर राज्य में पर्याप्त खाद्यान्न की उपलब्धता सुनिश्चित की, लेकिन राज्य सरकार की हठधर्मिता के कारण खाद्यान्नों की आवक को बंद करने का निर्णय लेना पड़ रहा है।

हमारा आंदोलन जनहित के मुद्दों को लेकर है। कृषि उपज पर शुल्क लेने से खाद्यान्न की चीजें महंगी हो जाएंगी। राज्य सरकार की ओर से लाए गए जनविरोधी विधेयक से इंस्पेक्टर राज को बढ़ावा मिलेगा। सरकार कृषि बाजारों में मूलभूत सुविधाएं मुहैया नहीं करा रही है। लेकिन टैक्स लगाकर व्यवसायी और आम लोगों पर बोझ बढ़ा रही है।

-धीरज तनेजा, अध्यक्ष, एफजेसीसीआई, रांची