रांची (ब्यूरो): राजधानी रांची के झिरी में भी कचरे का बड़ा पहाड़ बन गया है। इसमें बड़ी मात्रा में सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलीथिन भी शामिल है। यहां कचरे को नष्ट करने के लिए बार-बार यहां आग लगा दी जाती है, जिससे प्लास्टिक सिर्फ गल कर रह जाता है, साथ ही इससे उठने वाला जहरीला धुंआ आस-पास के लोगों को परेशान करता है। सिर्फ झिरी में ही नहीं, बल्कि जेल मोड़ स्थित टेकर स्टैंड में पॉलीथिन के कचरे नजर आते हंै। पॉलीथिन को डिस्पोज या उसे री-साइक्लिंग करने को लेकर रांची नगर निगम ने आज तक कोई योजना ही तैयार नहीं की है। इस वजह से रोज सिंगल यूज प्लास्टिक के कचरे बढ़ते जा रहे हैं।

सिर्फ योजनाएं बनीं, अमल नहीं

निगम प्रशासन की ओर से प्लास्टिक वेस्ट निस्तारण के लिए योजना तो बनाई गई, लेकिन उसे धरातल कभी उतारा नहीं गया। राजधानी रांची को स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में नंबर वन बनाने के लिए सिटी में प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाया गया। दो साल पहले प्लास्टिक कचरे का निस्तारण के लिए योजना बनाई गई थी, जिसमें प्लास्टिक कचरे को एक जगह एकत्रित कर इसका निस्तारण करने पर सहमती बनी थी, निगम इसे जमीन पर उतार नहीं सका। कचरे का सही तरीके से निस्तारण नहीं किए जाने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने नगर निगम पर दो करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था। इसके बाद भी नगर निगम ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद प्लास्टिक से पेवर्स ब्लॉक और रोड बनाने की भी घोषणा हुई, वो भी ठंडे बस्ते में पड़ा है।

जाम हो जाती हैं नालियां

प्लास्टिक के कचरे और पॉलीथिन से नाली जाम होने की समस्या भी होती है। प्लास्टिक बह कर नाले के मुहाने पर आकर जमा हो जाता है, जिससे पानी को बहने का रास्ता नहीं मिलता और नाले से बाहर आकर गंदा पानी सडक़ पर बहने लगता है। इससे आने-जाने वाले लोगों को भी परेशानी होती है। प्लास्टिक के कारण नालियां चोक हो जाती हैं, जिससे जलभराव जैसी समस्या भी होने लगता है। नगर निगम की ओर से नालियों की सफाई कराए जाने पर सबसे ज्यादा पॉलीथिन ही कचरे के रूप में बाहर आता है। इसके अलावा पॉलीथिन के इधर-उधर पड़े रहने से जानवर भी उसे खा लेते हैं, जिससे वे बीमार पड़ते हैं।

नहीं उठाया गया कदम

रांची नगर निगम के अनुसार हर दिन शहर से करीब 500 टन कचरा निकलता है। यह गीला सूखा के रुप में जमा होता है। शहर से 15 किमी दूर झिरी में ले जाकर इसे हर दिन डंप किया जाता है। नगर निगम प्रबंधन की और से दर्जनों बार इस कचरे से इस्तेमाल और इसके नष्ट करने को लेकर प्लान बनाया गया, पर एक दशक से अधिक समय बीत जाने पर भी कोई कदम नहीं उठाया जा सका। रांची नगर निगम की टीम इंदौर से लेकर बेंगलुरु नगर निगम तक जाकर कचरा प्रबंधन और घरों से कचरा उठाव के तरीके सीख चुका है, लेकिन इसे लागू करने में निगम विफल रहा है।