रांची (ब्यूरो)। सिख पंथ के नौवें गुरु तेगबहादुर का प्रकाश पर्व गुरुद्वारा श्री गुरुनानक सत्संग सभा की ओर से गुरुवार को रातू रोड के कृष्णा नगर कॉलोनी में मनाया गया। गुरुद्वारा साहब में सुबह 8 बजे से विशेष दीवान सजाया गया, जिसकी शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी एवं साथियों द्वारा गुरु तेग बहादुर सिमरियै घर नव निधि आवे धाई सब थाई होए सहाई, तिलक जंझू राखा प्रभु ताका कीनो बडो कलू महि साका, साधन हेत इति जिन करी सीस दिया पर सी न उचरी, ठीकर फोर दिलीस सिर, प्रभु पुर किआ पयान, तेग बहादर सी क्रिया करी न किनहूं आन व मैं गरीब मैं मसकीन तेरा नाम है आधाराजैसे कई शबद गायन कर साथ संगत को गुरुवाणी से जोड़ा।

कौन थे गुरु तेगबहादुर

गुरुद्वारा के हेड ग्रंथी ज्ञानी जेवेन्दर सिंह ने कथावाचन करते हुए साध संगत को बताया कि उनके बचपन का नाम त्यागमल था। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने वीरता का परिचय दिया। उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम त्यागमल से तेग बहादुर (तलवार के धनी) रख दिया। इस्लाम अपनाने से इनकार करने की वजह से औरंगजेब के शासनकाल में उनका सिर कलम कर दिया गया। जहां गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत दी चांदनी चौक दिल्ली के उसी स्थल पर उनकी याद में शीश गंज साहिब गुरुद्वारा बनाया गया है, जो उनके धर्म की रक्षा के लिए किए गए कार्यों को हमें याद दिलाता रहता है।

मिष्ठान्न प्रसाद का लंगर चला

सत्संग सभा के सचिव अर्जुन देव मिढा ने श्री गुरु तेग बहादुर जी के प्रकाश पर्व की समूह साध संगत को बधाई दी। हेड ग्रंथी ज्ञानी जिवेंदर सिंह द्वारा श्री आनंद साहिब जी के पाठ, अरदास एवं हुकमनामा के साथ सुबह 9:30 बजे दीवान की समाप्ति हुई। सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने बताया कि कड़ाह प्रसाद वितरण के बाद सत्संग सभा द्वारा साध संगत के लिए मिष्ठान्न प्रसाद का लंगर चलाया गया। मंच संचालन मनीष मिढा ने किया।