RANCHI: सिटी में जहां एक ओर खराब पड़े चापाकलों को बनाने की कोई हलचल नहीं है, वहीं दूसरी ओर लाखों के रिपेयरिंग के सामान कंडम हो गए हैं। जिन सामानों से डैमेज चापाकलों की रिपेयरिंग की जाती, वह अब किसी काम के नहीं रहे। नगर निगम के बगल में स्थित लकड़ा गोदाम में रखे लगभग 35 लाख के सामान या तो कंडम हो चुके हैं या फिर उनके स्थान पर नए मॉडल के सामानों ने जगह ले ली है। इस गोदाम में रखे नए चापाकल के सामान से लेकर रिपेयरिंग सामानों को कभी यूज ही नहीं किया गया। 15 साल से भी अधिक समय से ये सामान गोदाम में पड़े हैं। बारिश का मौसम हो या गर्मी, हर मौसम में सामान ऐसे ही पड़े रहते हैं। आधे से अधिक सामनों में तो अब जंग भी लग चुकी है। ये अब किसी काम के भी नहीं रहे।

नीलाम करने को लिखा गया पत्र

गोदाम में रखे गए सभी सामानों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि यह किसी काम में नहीं आ सकते। इसे हटाने के लिए नीलाम करने की प्लानिंग तैयार की गई थी। जेई मन्नत सिंह इसे आक्शन कराने से संबंधित कई लेटर डिपार्टमेंट को लिख चुके हैं। लेकिन अबतक कोई पहल नहीं हुई। जेई के अनुसार तीन महीने पहले भी लेटर लिखा गया था, जिसमें सभी सामानों की लिस्ट और उसका मार्केट वैल्यू बनाकर भेजा गया था। इस लिस्ट के अनुसार गोदाम का मार्केट वैल्यू 35 लाख रुपए लगाया गया था। खरीदारी के वक्त इसकी कीमत डबल होने का अनुमान है।

शिकायत के बाद भेजे जाते है इक्विपमेंट्स

नगर निगम लिस्ट के अनुसार सिटी में में 3800 चापाकल हैं, जिसमें 1600 चापाकल या तो डेड हो चुके हैं या फिर खराब पड़े हैं। इनकी मरम्मत नहीं की जा रही है। शहर में चापाकल खराब होने की स्थिति में इसकी शिकायत विभाग में की जाती है। जिसके बाद विभाग से पत्र तैयार कर एई को सौंपा जाता है। एई यह जिम्मेवारी जेई को सौंपते हैं, जिसके बाद जरूरत के सामान गोदाम से लेकर शिकायत वाले स्थान पर जाकर खराब नल की रिपेयरिंग की जाती है। ज्यादातर गर्मी के मौसम में नल खराब होने की शिकायत सामने आती है। लेकिन सिटी का यह दुर्भाग्य ही था कि सारे साधन मौजूद होते हुए भी चापाकल की मरम्मत नहीं कराई गई और रिपेयरिंग के सामान भी खराब होते चले गए।

मार्क 3 और सीआई का काम बंद

स्टोर इंचार्ज सुदर्शन ने बताया कि पांच साल पहले चापाकल के लिए इंडिया 3 मार्क का सामान लगाया जाता था। लेकिन अब यह पूरी तरह से बंद हो चुका है। वहीं पाइप भी पहले सीआई यूज किया जाता था, लेकिन अब वो भी डीआई ही यूज किया है। लेकिन गोदाम में सभी पुराने समय के इक्विपमेंट पड़े हुए हैं जिस कारण ये अब पूरी तरह से यूजलेस हो चुके हैं। धीरे-धीरे यह कबाड़ में तब्दील होते जा रहे हैं। इक्विपमेंट के अलावा पानी टंकी, कल-पुर्जे और नट-बोल्ट जैसे छोटे-छोटे सामान भी कंडम हो रहे हैं।

सामान तो सब खराब हो चुका है। 15-20 साल से ये सामान पड़े हुए हैं। इनका उपयोग नहीं किया जाता। सामानों का आकलन किया गया। पाया गया कि 35 लाख रुपए की सामग्री पड़ी है। इन्हें नीलाम करने के लिए विभाग को कहा गया है। लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया है।

- मन्नत कुमार, जेई, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग