रांची : जमशेदपुर स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में आग से जली महिला के इलाज में लापरवाही होने से मौत हो जाने पर झारखंड हाई कोर्ट ने हैरानी जताई है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा। रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने कहा कि अस्पताल प्रबंधन इतना लापरवाह कैसे हो सकता है। अदालत ने प्रथम ²ष्टया अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही मानते हुए इस मामले की जांच का आदेश दिया है। अदालत ने झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) के सदस्य सचिव को इस मामले की जांच कर एक सप्ताह के अंदर अदालत में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि जब महिला का समुचित इलाज नहीं होने की जानकारी मिली, तो क्या-क्या कदम उठाए गए। अदालत ने सरकार को 25 फरवरी तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले की जांच में जमशेदपुर उपायुक्त, एसपी और अस्पताल प्रबंधन सहयोग करेंगे।

ई-मेल से जानकारी

इस घटना की जानकारी अधिवक्ता अनूप अग्रवाल ने हाई कोर्ट को ई-मेल के माध्यम से दी थी। अदालत को बताया गया कि जमशेदपुर के आदित्यपुर की रहने वाली अमृता कुमारी को उसके पति ने आग लगाकर जला दिया और फरार हो गया। कुछ लोगों ने उसे एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया। अस्पताल ने सिर्फ एक बेड देकर इलाज की खानापूर्ति कर दी। 90 फीसद से अधिक जली इस महिला को बर्न वार्ड में भर्ती नहीं किया गया। गुरुवार की सुबह महिला की मौत भी हो गई। अदालत को बताया गया कि प्रथम दृष्टया यह मामला अस्पताल की लापरवाही का है। इस कारण इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। सरकार की ओर से बताया गया कि एमजीएम के बर्न वार्ड में 20 बेड हैं। जिस दिन महिला को अस्पताल लाया गया, उस दिन बर्न के 24 केस थे। बेड खाली नहीं रहने के कारण उसे तत्काल बर्न वार्ड में भर्ती नहीं कराया जा सका। इस पर अदालत ने सरकार को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।