RANCHI : हर सरजमीन हिंदी के समान समझे, इस मुल्क की जो असल है, उस पहचान को समझे।

नानक, कबीर, खुसरो और स्थान को समझे,

हम तुलसी और महावीर के सम्मान को समझें।

हिंदी को समर्पित इन पंक्तियों के साथ रविवार को श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान का श्री कृपा प्रेक्षागृह तुकबंदियों और कविताओं से गूंजता रहा। कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजाषा विभाग झारखंड सरकार और श्री कृष्ण लोक प्रशासन संस्थान, झारखंड सरकार के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को हिंदी दिवस समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में सीएम हेमंत सोरेन बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए, जहां उन्होंने हिंदी के विद्वानों को सम्माि1नत किया।

साहित्यकार व किव रहे मौजूद

शहर के जाने-माने साहित्यकार, कवि और हिंदी के ज्ञाता इस समारोह में मौजूद थे। कथाकार और उपन्यासकार रणेंद्र ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य ख्क्वीं शतादी में हिंदी के बदलते स्वरूप और विषय पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना था। इस दौरान हिंदी भाषा को समझने और अंग्रेजी के पॉपुलर फैशन की भी चर्चा की गई। इस मौके पर सुहैल सईद, जेसिन्ता केरकेट्टा, शिरोमणि महतो, डॉ प्रज्ञा, कलावंती सिंह, सुशील कुमार, प्रवीण परिमल, विनय सौरा, महादेव टोप्पो, डॉ अशोक प्रियदर्शी, डॉ शिवशंकर मिश्र भी मौजूद थे।

नारी, बेटी व स्त्री का महत्व बताया

हिंदी की कविताओं के साथ नारी, बेटी और स्त्री के महत्व की छवि को महिलाओं ने मंच पर प्रस्तुत किया। रांची रेलवे की पीआरओ कलावंती सिंह ने वह मेरी बेटी है, वह मेरी मां भी है कविता प्रस्तुत की। जेसिन्ता केरकेट्टा ने अपनी कविता को गांव की जमीन से जोड़ते हुए तुहारे योद्धा होने की कहानी को प्रस्तुत किया। डॉ प्रज्ञा ने अपनी कविता में हिंदी को उस मां के समान बताया, जो अपने आंचल में सबको लपेटे हुए है। स्त्री और हिंदी के संयुक्त रूप और चित्रण के साथ समारोह में प्रस्तुति दी गई।