रांची(ब्यूरो)। पुलिस के जवान और उनके आश्रितों के इलाज के लिए होटवार के जैप-10 परिसर में सेंट्रल पुलिस हॉस्पिटल का निर्माण कराया गया है। करीब दस साल पहले इस हॉस्पिटल बिलिडंग का निर्माण कराया गया, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज तक यह शुरू नहीं हो सका है। करोड़ो की लागत से बने इस अस्पताल का भवन वर्षोंं से धूल फांक रहा है। इसकी देख-रेख करने वाला भी कोई नहीं है। 10 साल पहले बने इस अस्पताल में अब तक न तो डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति की गई है और न ही नर्स व टेक्निशियंस के पद सृजित किए गए हैं। लगता है जैसे बिल्डिंग का निर्माण कराकर संबंधित विभाग भूल चुका है। जबकि दूसरी ओर राज्य सरकार हर साल पुलिसकर्मियों के इलाज पर करोड़ों रुपए निजी अस्पतालों को दे रही है। करीब ढाई करोड़ की लागत से निर्मित इस हॉस्पिटल के बनने से पुलिसकर्मियों में उम्मीद जगी कि अब इलाज के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। मगर आलम यह है कि अब इस बिल्डिंग में इलाज शुरू होने की आस में साल दर साल बीतता जा रहा है।

अस्पताल बना बैरक

रखरखाव के अभाव में अब भवन की हालत खराब होने लगी है। दीवारों में दरारें आने लगी हैं तो खिड़कियों में लगे शीशे टूट चुके हैं। फर्श भी कई जगहों पर टूट-फूट चुकी है। जैप-10 में रहने वाले जवान इसे अपना बैरक बना चुके हैं। ऑपरेशन थियेटर का इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में किया जाने लगा है। गौरतलब हो कि हॉस्पिटल का संचालन गृह विभाग को करना था। अस्पताल में 12 डॉक्टर, 41 स्वास्थ्य कर्मियों व टेक्निशियनों को नियुक्त करने का प्रस्ताव था। 2013 में ही वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन नौ साल बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई। 2013 में तत्कालीन सीएम अर्जुन मुंडा ने इस हॉस्पिटल का निर्माण करवाया था। इसे शुरू करने के लिए कई बार पत्राचार किए गए। लेकिन कभी डॉक्टर, कभी संसाधन तो कभी दूसरी वजहों से इसे लटकाये रखा गया।

धूल फांक रही एक्सरे मशीन

जिस हॉस्पिटल में 12 डॉक्टर प्रतिनियुक्त किए जाने थे। वहां साल 2019 में एक डॉक्टर की नियुक्ति कर खानापूर्ति की गई। वह भी एक साल पहले रिटायर हो चुके हैं। हॉस्पिटल शुरू करने के लिए यहां कुछ उपकरण जैसे एक्सरे मशीन और अल्ट्रासाउंड मशीन की व्यवस्था की गई, जो अब बर्बाद हो चुके हैं। बिल्डिंग में महिला बटालियन यहां बैरक बना कर रह रही हैं। वहीं खिलाडिय़ों को भी यहां ठहराया जाता है। ऑपरेशन थियेटर का इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में किया जा रहा है। हॉस्पिटल में पुलिस के जवानों के लिए अस्थायी रूप से रहने की व्यवस्था की गई है। हॉस्पिटल में फोल्डिंग बेड लगे हुए हैं।

आउटसोर्स पर चलाने की तैयारी

अब इस हॉस्पिटल को प्राइवेट एजेंसी के जरिए चलाने की तैयारी चल रही है। हाल ही में आयोजित समीक्षा बैठक में हॉस्पिटल संचालन पर विमर्श हुआ है, जिसमें आउटसोर्सिंग करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि एडीजी प्रशिक्षण की ओर से हॉस्पिटल में डॉक्टर एवं नर्सिग स्टाफ्स की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया गया है। साथ यह भी कहा गया कि स्वास्थ्य परिवार कल्याण चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग यदि इस अस्पताल को चलाना चाहे तो इस पर भी विचार किया जा सकता है। या हॉस्पिटल को आउटसोर्स करने का निर्णय लिया जाएगा। हॉस्पिटल के शुरू होने पर यहां जिला बल, जैप, सैप, जगुआर, जिला पुलिस, आईआरबी, अग्निशमन समेत अन्य जवानों और उनके परिजनों का इलाज हो सकेगा।

हॉस्पिटल संचालन को लेकर विचार चल रहा है। अलग-अलग बिंदुओं पर चर्चा हुई है। जल्द ही पॉजिटिव निर्णय लिए जाएंगे।

-अनुराग गुप्ता, एडीजी, प्रशिक्षण