RANCHI : सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल में धूमधाम से हेल्थ मिनिस्टर ने डिजिटल एक्सरे समेत कई सुविधाओं की शुरुआत तो कर दी, लेकिन डिजिटल एक्सरे चालू कराने के लिए भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट ही नहीं लिया गया। अब बिना एनओसी के मरीजों का एक्सरे किया जाता है तो इलाज के लिए आने वाले अन्य मरीज रेडिएशन की चपेट में आ जाएंगे। इससे मरीजों को कई तरह की अन्य बीमारियां भी हो सकती हैं, चूंकि एक्सरे के दौरान मशीन से हाई रेडिएशन निकलता है।

इंस्पेक्शन में टीम ने जताई थी आपत्ति

किसी भी प्राइवेट क्लीनिक या संस्थान में एक्सरे या रेडियोलॉजी की कोई भी मशीन इंस्टाल करने के लिए बार्क से परमिशन लेना जरूरी होता है। इसके लिए बार्क की टीम साइट वेरीफिकेशन करके चेक करती है कि कहीं कोई खामी तो नहीं है। इसके बाद ही मशीन के संचालन के लिए एनओसी मिलता है। लेकिन सदर हॉस्पिटल में टीम ने इंस्पेक्शन के दौरान सुधार करने का निर्देश दिया था। वहीं कई चीजों पर आपत्ति भी जताई थी। इसके बाद भी सदर हॉस्पिटल प्रबंधन ने बार्क से एनओसी नहीं लिया।

मशीन का रजिस्ट्रेशन भी नहीं

हॉस्पिटल में मरीजों को बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए डिजिटल एक्सरे मशीन लगाई। इसके लिए अलग चैंबर भी बनाया गया। वहीं बार्क की टीम के इंस्पेक्शन के बाद दीवारों को मोटा कराया गया। साथ ही लेड वाल भी दुरुस्त कराया गया। लेकिन नई मशीन का रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे लीपापोती कर प्रबंधन ने वाहवाही लूटने की कोशिश की है।

प्रेग्नेंट महिलाओं को हो सकता है नुकसान

हॉस्पिटल की नई बिल्डिंग में डिजिटल एक्सरे विंग खुला है। जहां पर सबसे ज्यादा प्रसूता महिलाएं इलाज के लिए आती हैं। ऐसे में बिना एनओसी के मशीन का संचालन करने पर उन्हें अधिक नुकसान हो सकता है। वैसे भी रेडिएशन वाले इलाके से प्रेग्नेंट महिलाओं को नहीं गुजरने को कहा जाता है। इसके बावजूद हॉस्पिटल में ऐसी लापरवाही से बड़ा नुकसान हो सकता है।

वर्जन

ऐसा तो नहीं होना चाहिए। इस बारे में पहले पता करता हूं कि मामला क्या है। इसके बाद ही कुछ बता पाऊंगा। लेकिन मशीन चालू कराने से पहले सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

डॉ.एसएस हरिजन, सिविल सर्जन, रांची