रांची (ब्यूरो) । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की प्रथम अध्यक्षा जगदम्बा मां की पुण्यतिथि के अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्थान चौधरी बगान, हरमू रोड में पूरे दिन भर राजयोग अभ्यास किया गया। इस अवसर पर अपने उद्गार अभिव्यक्त करते हुए केन्द्र संचालिका ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा कि मातेश्वरी जगदम्बा की जीवन यात्रा बहुत ही प्रेरक है। मातेश्वरी जी के समाधिस्थ होकर उच्चरित ओम ध्वनि में आध्यात्मिक तरंगों का इतना शक्तिशाली प्रवाह होता था कि ओम की धुनी लगाते ही पूरे वातावरण में गहन शान्ति छा जाती थी। इसके सम्पर्क में आने वाले लोग ध्यान की अवस्था में चले जाते थे।

नारी सत्ता का उत्थान

आपको लौकिक माता से लेकर बच्चे, युवा, वृद्ध सभी आपको मम्मा के रूप में संबोधित करते थे और आपने यज्ञ माता की बेहद दृष्टि से आध्यात्मिक ज्ञान से सर्व की पालना करके नारी सत्ता के आध्यात्मिक उत्थान की एक नई गौव गाथा का सृजन कर दिया। मातेश्वरी जगदम्बा के पावन सान्निध्य से प्रेरित होकर लाखों मनुष्यात्माओं के ज्योतिर्बिन्दु स्वरूप परमात्मा शिव के नई सतयुगी दुनिया की पुर्नस्थापना के महान परमात्म कार्य में स्वियं को समर्पण करने की घटना इतिहास में अन्यत्र कहीं नहीं मिलती है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की आध्यात्मिक त्याग, तपस्या, धारणा और सेवा के क्षेत्र में पूरे विश्व में जो विशिष्ट पहचान है, वह मातेश्वरी श्री जगदम्बा के दिव्य व्यक्त्वि और आध्यात्मिक मार्गदर्शन का ही परिणाम है।

तेजस्वी स्वरूप से

उन्होंने कहा कि मातेश्वरी जी के पावन सानिध्य में चलने वाली आत्मायें अपने प्रखर साधना और तेजस्वी स्वरूप से वर्तमान समय में अज्ञानता के अंधकार में भटकती समस्त मानव जाति को परमात्मा-अनुभूति की यथार्थ पहचान देकर उनके दिखाये गये साधना के पथ पर निरंतर अग्रसर है। आध्यात्मिक साधना के मार्ग में मन और बुद्धि को परमात्मा के ऊपर एक बार समर्पित करने के बाद साक्षीद्रष्टा बनकर ईश्वरीय सेवा में इनका प्रयोग करने के लिए महान आध्यात्मिक विवेक और निरंतर अशरीरी बनकर परमात्मा- शक्तियों की अनुभूति करते रहने का पुरूषार्थ आवश्यक है। मातेश्वरी जगादम्बा निराकार ज्योतिबिंदु स्वरूप परमात्मा शिव द्वारा अपने साकार मानवीय माध्यम पिताश्री ब्रह्मा के माध्यम से दिये गये श्रीमति का तत्क्षण पालन किया।