RANCHI : 70 हजार पारा शिक्षकों के स्थायीकरण, वेतनमान देने व उनकी अन्य मांगों को लेकर सरकार गंभीर दिख रही है। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को पारा शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि वे उच्चस्तरीय कमेटी की रिपोर्ट आने दें। सरकार उनके भविष्य और हितों को ध्यान में रखकर उचित निर्णय लेगी। एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर कमेटी की बैठकों की जानकारी दी। पारा शिक्षकों ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर स्थायीकरण व वेतनमान देने की मांग की। बताया कि वहां पारा शिक्षकों को स्थायी शिक्षक का दर्जा प्राप्त है।

नियमावली पर मंथन

इधर, सोमवार को कमेटी की हुई बैठक में इन नियमावलियों पर चर्चा हुई। कमेटी ने राज्य परियोजना निदेशक डा। उमाशंकर सिंह को इन नियमावलियों के आधार पर यह जानकारी देने को कहा है कि उन राज्यों में पारा शिक्षकों की नियुक्ति कैसे हुई तथा उनके स्थायीकरण के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई। इसे अगली बैठक में रखने को कहा गया।

छह अफसरों की टीम कर रही अध्ययन

एसपीडी से मांगी नियुक्ति व स्थायीकरण की प्रक्रिया की जानकारी

मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी के निर्देश पर कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने छह राज्यों से वहां कार्य कर रहे पारा शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावलियां मंगा ली हैं। इनमें बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा ओडिशा शामिल हैं। इन राज्यों से नियमावली लाने के लिए छह पदाधिकारियों को जिम्मेदारी अलग-अलग दी गई थी।

7 साल हो टेट सर्टिफिकेट की मान्यता

पारा शिक्षकों के प्रतिनिधियों ने शिक्षक पात्रता परीक्षा में सफल होनेवाले अभ्यर्थियों को मिलने वाले प्रमाणपत्रों की वैधता सात साल करने की मांग भी उठाई। बता दें कि वर्तमान में इसकी वैधता पांच साल है। इस तरह, पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों की मान्यता खत्म हो चुकी है। पारा शिक्षकों ने कमेटी को बताया कि केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा की मान्यता सात साल कर दी गई है।

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