रांची(ब्यूरो)। कैंसर से लड़ाई की तैयारी में झारखंड जुटा हुआ है। रांची, जमशेदपुर और बोकारो में कैंसर के इलाज के लिए कई सरकारी और निजी हॉस्पिटल बन गए हैं, जिससे पिछले 10 वर्षो से राज्य के कैंसर मरीजों को बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ रही है। आर्थिक रूप से मजबूत मरीज ही दूसरे राज्यों में इलाज के लिए जा रहे हैं। इधर, राज्य की महिलाएं भी भारी संख्या में कैंसर की शिकार हो रही हैं।
2.70 लाख स्क्रीनिंग लक्ष्य
महिलाओं में सबसे अधिक सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के अधिक मामले पाए जा रहे हैं। आईएमए, झारखंड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में झारखंड में 1.27 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई थी, जिसमें 195 मामले संदिग्ध मिले थे। वहीं इस साल 2.70 लाख महिलाओं की स्क्रीनिंग का लक्ष्य है।
सालाना 10 हजार नए मामले
देश में हर पांच मिनट में एक व्यक्तिकी कैंसर से मौत हो रही है, जबकि झारखंड में हर वर्ष 8-10 हजार कैंसर के नए मामले सामने आ रहे हैं। ये आंकड़े राज्य के अस्पतालों से मिले आंकड़ों के हैं, क्योंकि झारखंड में कैंसर की कोई ऑफिशियल रजिस्ट्री की व्यवस्था नहीं है। झारखंड समेत पूरे देश में 20 में से एक महिला के जीवन काल में ब्रेस्ट कैंसर की आशंका रहती है।
क्यों बढ़ रहे मामले
महिलाओं में कैंसर के मामले उनके शर्मीले स्वभाव, साफ-सफाई की कमी, ब्रेस्ट में गांठ होने पर घरवालों को समय पर नहीं बताने से बढ़ रहे हैं। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के दो-तिहाई मामलों की स्क्रीनिंग से ही बचाव संभव है। साथ ही दोनों मामलों के सही समय पर पहचान से मरीज ठीक हो सकता है।
कॉमन हैं दोनों बीमारियां
राज्य में सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में कॉमन बीमारी है। दोनों बीमारियों के लक्षण और उसके बचाव की सही जानकारी नहीं होना, इसकी जटिलता को बढ़ा देता है। इससे एडवांस स्टेज में इलाज अधिक महंगा और डॉक्टरों के लिए भी जटिल हो जाता है।
बचने को लगाएं टीका
सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए टीके की खोज हो चुकी है। हालांकि झारखंड में पूर्व में यह टीका नहीं मिलता था, लेकिन अब यह टीका रांची में मिलता है। एचपीवी नामक वैक्सीन को 9 से 12 वर्ष की आयु वाली लड़कियों को लगवाना पड़ता है। लेकिन इस टीके को भी बगैर डॉक्टर की सलाह के नहीं लगवाना चाहिए।
रांची में बढ़ी है सुविधा
रांची में कैंसर के इलाज की सुविधा में इजाफा हुआ है। रांची में रिम्स समेत कई आसपास के अस्पतालों में कैंसर की इलाज की व्यवस्था है, जहां अच्छे-अच्छे विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। वहीं रांची के कांके स्थित रिनपास की जमीन पर राज्य सरकार और टाटा ट्रस्ट के सहयोग से रिनपास की 50 बेड के कैंसर हॉस्पिटल का निर्माण किया जा रह है, जिसे भविष्य में बढ़ाकर 200 बेड किया जाएगा। यह राज्य का पहला ऐसा कैंसर अस्पताल होगा, जहां मरीजों के अटेंडेट के लिए भी हॉस्टल होगा।

झारखंड समेत पूर्वी भारत में कैंसर के मामले भयावह रूप लेते जा रहे हैं। झारखंड में कैंसर के मामले अज्ञानता और सही समय पर जांच नहीं कराने से बढ़ रहे हैं। सही समय पर कैंसर की पहचान कर इलाज कराने से मरीज स्वस्थ हो सकता है।
-डॉ अजय कुमार, अंको सर्जन, सिंघल कैंसर हॉस्पिटल

झारखंड में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। किशोरी और महिलाओं में हाइजीन मेंटेन नहीं करने से भी कैंसर के मामले में वृद्धि हो रही है। राज्य सरकार की ओर से कॉल्पोस्कॉपी नामक मशीन अधिकतर जिलों को दी गई है, जिससे सर्वाइकल कैंसर डिटेक्ट होती है।
डॉ शंभु प्रसाद सिंह, अध्यक्ष, आईएमए, झारखंड