रांची(ब्यूरो)। झारखंड में नियुक्ति और गड़बडी में चोली-दामन का साथ रहा है। जब भी वेकेंसी आई है, उसमें फर्जीवाड़ा सामने आया है। राज्य की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित नियोजन संस्था झारखंड लोक सेवा आयोग इसका सबसे बड़ा उदाहरण रहा है। जेपीएससी और विवाद का गहरा नाता रहा है। जब भी जेपीएससी ने कोई परीक्षा कंडक्ट कराई, उसी वक्त से विवाद शुरू हुआ है। यह विवाद नियुक्ति के बाद भी जारी रहा है। अब भी ऐसे कई मामले हैंै जो कोर्ट में चल रहे हैं। जेपीएससी की हर परीक्षा में अभ्यर्थियों को एक अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ा है। पहले दिन-रात जग कर पढ़ाई, फिर परीक्षा की तैयारी, फार्म भरना और एग्जाम देने के बाद अभ्यर्थियों को अब आंदोलन के लिए भी तैयार रहना पड़ता है। परीक्षा परिणाम आने के बाद आंदोलन और विरोध शुरू हो जाता है। वर्ष 2000 में झारखंड गठन के बाद जेपीएससी की स्थापना हुई। जो राज्य के उच्च अधिकारियों की नियुक्ति करता है। हर साल परीक्षा होनी थी, लेकिन 21 साल में सिर्फ सात परीक्षा ली गई है। सातो परीक्षाएं विवादों के जाल में फंसी है।

नियुक्ति पर उठते रहे सवाल

जेपीएससी की सिर्फ परीक्षा ही नहीं बल्कि नियुक्ति पर भी सवाल उठते रहे हैं। सरकार के खास और चिर-परिचित लोगों को पद दिलाने का भी आरोप लग चुका है। आयोग के पूर्व चेयरमैन से लेकर अन्य पदाधिकारियों पर जांच अब भी चल रही है। 2002 में आयोग के गठन के बाद 2003 में पहली जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा आयोजित की गई। 64 पदों की नियुक्ति के लिए यह परीक्षा ली गई थी। वहीं दो साल बाद यानी 2005 में आयोग ने 172 सीटों के लिए परीक्षा आयोजित की। इन दोनों परीक्षाओं के साथ ही विवाद भी शुरू हो गया। जेपीएससी अभ्यर्थी कभी करप्शन तो कभी आरक्षण के मुद्दे को लेकर सड़क पर उतरते रहे हैं।

1292 नियुक्ति कर चुका है जेपीएससी

20 साल में जेपीएससी ने 1292 पदों के लिए सात परीक्षाएं लीं। पहली सिविल सेवा परीक्षा में रिक्तियों की संख्या 64, दूसरी में 172, तीसरी में 242, चौथी में 219, पांचवीं में 269 और छठी सिविल सेवा परीक्षा में 326 सीटों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी। छह परीक्षा में करीब 54 मामले कोर्ट में चल रहे हंै। इस बार 2017, 18, 19 और 20 के लिए सातवीं, आठवीं, नौंवी और दसवी के लिए सिविल सेवा की परीक्षा ली गई। 252 पदों के लिए यह वेकेंसी निकाली गई है। इसमें पीटी रिजल्ट से ही बवाल मचा हुआ है। इस बार आयोग पर रिमोट एरिया में एग्जामिनेशन सेंटर बनाने, होम टाउन में सेंटर देने से लेकर क्रमवार रौल नंबर वाले अभ्यर्थियों को सफल करने का आरोप लगा है। हालांकि, इसे महज एक संयोग बताया जा रहा है। लेकिन अभ्यर्थी इसे मानने को तैयार नहीं हैैं। अभ्यर्थी सातवीं जेपीएससी रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

जेल जा चुके हैैं अध्यक्ष

कुछ मामले हाईकोर्ट में चल रहे है तो कुछ की जांच सीबीआई कर रहा है। परीक्षाओं में अनियमितता को लेकर तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्य के अलावा सचिव के विरुद्ध भी कार्रवाई हुई है। इससे पहले निगरानी जांच तथा बाद में सीबीआई जांच में भी जेपीएससी की परीक्षाओं में भारी गड़बड़ी की पुष्टि हो चुकी है। लेक्चरर नियुक्ति गड़बडी मामले में सीबीआई चार्जशीट भी दाखिल कर चुका है। वनरक्षी बहाली में भी आयोग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। परीक्षा में कॉपियों की जांच करनेवालों से लेकर जेपीएससी के पूर्व अध्यक्ष दिलीप प्रसाद तक को अलग-अलग मामलों में जेल तक का सफर करना पड़ा है।

फस्र्ट सिविल सर्विस एग्जाम

2003 में 64 पदों के लिए परीक्षा ली गई। इसमें सभी नियुक्ति में भ्रष्टाचार के आरोप लगे। ऐसे लोग भी अधिकारी बन गए जिनके आंसरशीट की जांच ही नहीं हुई थी। आंसरशीट में परीक्षक के हस्ताक्षर का न होना, ओवर राइटिंग आदि की बात भी सामने आई। इसकी जांच गुजरात स्थित एफएसएल टीम से कराई गई।

सेकेंड सिविल सर्विस एग्जाम

2005 में सेकेंड सिविल सर्विस परीक्षा ली गई। इस बार 172 पदों के लिए नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया। लेकिन 165 लोगों के सेलेक्शन पर फर्जिवाड़े का गंभीर आरोप लगा। सभी को बर्खास्त करने की अनुशंसा भी की गई।

थर्ड सिविल सर्विस एग्जाम

तीसरी सिविल सेवा परीक्षा में भी अनियमितता बरती गयी। नियुक्तियों पर आरोप लगे। लेकिन इस परीक्षा को किसी भी तरह के जांच के दायरे में नहीं लाया गया।

फोर्थ सिविल सर्विस एग्जाम

चौथी जेपीएससी परीक्षा भी विवादों में रही। प्रारम्भिक परीक्षा में क्वेश्चन को लेकर सवाल उठे। आयोग के मॉडल उत्तर में भी कई खामियां रहीं। खुद आयोग के एग्जामिनेशन कंट्रोलर ने ही पीटी परीक्षा को रद्द करने की अनुशंसा की। अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

फिफ्थ सिविल सर्विस एग्जाम

पांचवीं जेपीएससी में आरक्षण के मुद्दे पर आयोग पर सवाल उठाए गए। आयोग ने बिना सरकार से अनुमति लिए पीटी में आरक्षण समाप्त कर दिया था।

सिक्स्थ सिविल सर्विस एग्जाम

छठी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा भी विवादों के घेरे में रही। इस बार तो सारे रिकार्ड टूट गए। परीक्षा परिणाम तीन बार संशोधित करके जारी किया गया।

2021 सिविल सर्विस एग्जाम

इस बार चार जेपीएससी सिविल सेवा की पीटी एक साथ ली गई। परीक्षा परिणाम आने के बाद सीरियल नंबर से पास करने, सीसीटीवी कैमरा रहित और होम टाउन में सेंटर देने का आरोप लगाया जा रहा है।