रांची(ब्यूरो)। विश्व में सिर्फ एक ही व्यक्ति हमें मोटिवेट कर सकता है और वह हैं हम खुद। उन्होंने कहा कि हमें हर सुबह उठकर अपने से यह कहना चाहिए कि वी कैन डू इट, वी मस्ट डू इट एंड आई विल बी डू इट। यह मंत्र छात्र को सफलता के उच्चतम शिखर पर ले जाएगा। ये बातें जवाहर विद्या मंदिर श्यामली के प्राचार्य समरजीत जाना ने कहीं। वह स्कूल के दयानंद प्रेक्षागृह में माध्यमिक विभाग के 494 स्टूडेंट्स के बीच पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस भव्य समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि पुलिस मुख्यालय रांची के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (प्रशिक्षण एवं रक्षा) प्रिया दूबे, प्राचार्य समरजीत जाना, उप प्राचार्य बीएन झा, संजय कुमार प्रभाग प्रभारी अनुपमा श्रीवास्तव, शीलेश्वर झा सुशील, मीनुदास गुप्ता के कर-कमलों द्वारा सामूहिक रूप से दीप प्रज्ज्वलन करके हुआ। इन सभी छात्रों को मंच पर मेडल और प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने वाले छात्रों का उत्साह और खुशी देखते बन रही थी।

ये प्रतियोगिताएं हुईं थीं

इस समारोह में सत्र 2023-24 में शैक्षणिक क्रियाकलाप में वार्षिक विज्ञान एवं कला प्रदर्शनी अभिज्ञान में अपने अनूठे मॉडलों और वैज्ञानिक सोच से कुछ नया निर्माण करने को आतुर 196 छात्रों, अंतर सदनीय हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में उत्कृष्ट काव्य-पाठ करने वाले 27 छात्रों, वाद-विवाद में 20 छात्रों, अपनी रचना से विषय की गंभीरता की परख बताने वाली निबंध प्रतियोगिता में 09 छात्रों, संगीत के गायन और वादन में सुर-ताल और साज के धनी 17 छात्रों, क्विज प्रतियोगिता में 24 छात्रों, अपनी तुलिका से रंग भरने वाले पेंटिंग्स और पोस्टर मेकिंग में 13 छात्रों तथा गलियों में अंधविश्वास के खिलाफ जंग का ऐलान करने वाले नुक्कड़ नाटक में 8 छात्रों को पुरस्कार प्रदान किया गया। दरअसल, विद्यालय में आदर्श स्थापित करने, दूसरे विद्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बनने एवं मनोबल को सदैव ऊंचा बनाए रखने के लिए पुरस्कार पाना एक छात्र के लिए गर्व की बात होती है।

स्टूडेंट्स को किया मोटिवेट

मुख्य अतिथि प्रिया दुबे समारोह में सफल छात्रों की प्रतिभा की सराहना करते हुए छात्रों को सिविल सेवा में आने के लिए प्रेरित किया और अपने जीवन से सम्बन्धित कई प्रसंगों को साझा किया। उन्होंने कहा कि लक्ष्य को साधने के लिए चार चीजों की आवश्यकता होती है, वे हैं -कुछ करने की चाह, कठिन मेहनत, जरूरत पडऩे पर सहायता लेना और अपनी कमी का आकलन करना। आगे उन्होंने बताया कि वह खुश किस्मत थीं कि जो कुछ चाहा वह मिला। यह सफलता उनके जीवन में प्ररेणास्रोत के रूप में कार्य की। यह एक कीर्तिमान से दूसरे कीर्तिमान रचने के लिए प्रेरित करते गए।