RANCHI : साइंस और कॉमर्स की तरह अब आ‌र्ट्स के प्रति भी स्टूडेंट्स का रूझान तेजी से बढ़ रहा है। इंजीनियरिंग और मेडिकल की तरह सिविल सर्विसेज व लॉ जैसे फील्ड में बढ़ रहे स्कोप की वजह से स्टूडेंट्स अब आ‌र्ट्स की पढ़ाई ज्यादा प्रिफर कर रहे हैं। अब आ‌र्ट्स के जरिए बेहतर करियर के ऑप्शन भी काफी बढ़ गए हैं। अब देखिए ना। 12वीं में साइंस और कॉमर्स की तरह आ‌र्ट्स में भी 95 परसेंट से ज्यादा मा‌र्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स की तादाद काफी बढ़ गई है। सबसे चौकाने वाले बीत यह है कि इतिहास में में हंड्रेड परसेंट मा‌र्क्स स्टूडेंट्स हासिल कर रहे हैं। यह आ‌र्ट्स की पढ़ाई करने वालों के लिए बेहतर संकेत है।

समझकर पढ़ें, रटे नहीं

जेवीएम श्यामली के इतिहास शिक्षक शशांक कुमार सिन्हा बताते हैं कि इतिहास के प्रति स्टूडेंट्स की यही धारणा है कि इसे रटकर ही अच्छे रिजल्ट प्राप्त किए जा सकते हैं, लेकिन अब यह कान्सेप्ट पूरी तरह फेल कर चुका है। इतिहास को समझकर पढ़ने की जरूरत है न कि रटकर। इस सब्जेक्ट के तथ्यों को समझने की जरूरत है। अप्लाइड हिस्ट्री को कंसस्टेंटली पढ़ा जाय तो हंड्रेड परसेंट मा‌र्क्स भी लाए जा सकते हैं।

एनसीईआरटी की किताबें पढ़ें

सोशल साइंस के लिए एनसीईआरटी की किताबें सबसे बेस्ट है। सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स भी एनसीईआरटी की किताबों को सबसे अच्छा और विश्वसनीय मानते हैं। क्लैट समेत अन्य कॉम्पीटेटिव एग्जाम की तैयारी के लिए ये भी इन किताबों को पढ़ना काफी फायदेमंद है।

इन्हें मिले 95 परसेंट से भी ज्यादा मा‌र्क्स (बॉक्स)

सीबीएसई के 12वीं आ‌र्ट्स के नतीजे काफी बेहतर रहे हैं। इस बार जेवीएम श्यामली के स्टूडेंट्स का शानदार प्रदर्शन रहा है। आ‌र्ट्स की सिटी टॉपर अपूर्वा राय को इतिहास में हंड्रेड परसेंट मा‌र्क्स मिले हैं। इसके अलावा चार और स्टूडेंट को भी हिस्ट्री में 99 परसेंट मा‌र्क्स आए हैं। सोशल साइंस के अन्य सब्जेक्ट में भी कई स्टूडेंट्स ने 95 परसेंट से ज्यादा मा‌र्क्स हासिल किए हैं। एक्सपर्ट शशांक कुमार सिन्हा का कहना है कि 2013 और 2014 में इतिहास में स्टूडेंट्स को अधिकतम 99 मा‌र्क्स मिले थे, लेकिन इस बार यह रिकॉर्ड टूट गया और अपूर्वा ने सौ में से सौ मा‌र्क्स लाए। आने वाले दिनों में हिस्ट्री व अन्य सब्जेक्ट में भी हंड्रेड परसेंट मा‌र्क्स लाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ेगी।

इंग्लिश ने किया निराशा

सीबीएसई 12वीं के इस नतीजे ने सभी स्ट्र्ीम के स्टूडेंट्स को अंग्रेजी के परिणाम ने निराश किया है। साइंस, कॉमर्स और आ‌र्ट्स में स्टूडेंट्स को पिछले सालों की तुलना में इंग्लिश में कम मा‌र्क्स आए हैं। डीपीएस के प्रिंसिपल डॉ राम कुमार सिंह का कहना है कि अंग्रेजी लिटरेचर सब्जेक्ट है। ज्यादातर स्टूडेंट्स का ध्यान मेडिकल और इंजीनियरिंग की तरफ होता है, इस वजह से मैथ्स, फिजिक्स, साइंस पर ध्यान तो रहता है लेकिन सोशल साइंस के सब्जेक्ट्स पर ध्यान कम होता है, इसका प्रभाव रिजल्ट पर पड़ता है।