RANCHI: कोई पति की मौत पर, तो कोई बेटे की मौत पर आंसू बहा रहा था। किसी को भाई खोने का गम था तो कोई अपने प्रिय साथी को खोने के बाद आंसू बहा रहा था। आसपास खड़े सैकड़ों लोगों की आंखें भी नम थीं। जी हां, बुधवार को किशोरगंज के उस घर के आसपास कुछ ऐसा ही माहौल था, जिस घर से एक साथ पांच अर्थियां उठीं। जेवर व्यवसायी घनश्याम सोनी, उनकी धर्मपत्नी देवयंती देवी, साला संतोष कुमार, बेटी रिया वर्मन व पोता पीयूष के शव एक ही साथ एक ही जगह रखे हुए थे। इसी माहौल में देर रात सभी शवों को हरमू मुक्तिधाम ले जाया गया, जहां बारी-बारी से सभी को मुखाग्नि दी गई।

रोते हुए संभाल रहे थे एक-दूसरे को

मां अलंकार ज्वेलर्स के ओनर घनश्याम प्रसाद(60 वर्ष), पत्‍‌नी देवयंती देवी(54 वर्ष), साला संतोष कुमार(32 वर्ष), पोता पीयूष वर्मन(सात वर्ष) तथा संतोष कुमारी छह वर्षीय पुत्री रिया कुमारी की अर्थी एक साथ किशोरगंज से उठीं, तो पूरा मुहल्ला रो पड़ा। कोई भी आता तो बस उनके आंख से आंसू ही बहते। कुछ लोग अपने आप को संभालने में लगते तो दूसरा जमीन पर गिर पड़ता।

शोक में बंद रहीं सभी दुकानें

सोना चांदी व्यवसायी समिति के आह्वान पर बुधवार को शहर के कई सोना चांदी के प्रतिष्ठान बंद रहे। शव यात्रा में सिटी के कई प्रबुद्ध लोगों ने भी शिरकत की।

बौक्स

आज ही लौटनेवाले थे घनश्याम प्रसाद

नेपाल के पशुपति नाथ मंदिर का दर्शन करने के लिए सपरिवार घर से निकले घनश्याम प्रसाद ने बेटों से कहा था कि वे लोग व्यवसाय में अपना ध्यान लगाएं। पशुपतिनाथ जी की कृपा होगी तो वे लोग रामनवमी से दो दिन पूर्व यानी 26 मार्च को रांची लौट आएंगे। लेकिन उनकी बात सत्य प्रतीत नहीं हुई, वे लौटे तो जरूर, लेकिन कफन में लिपटे हुए। वह भी दो दिन पूर्व।