रांची (ब्यूरो) । रांची विमेंस कॉलेज के मैत्रेयी सभागार में रांची विमेंस कॉलेज की प्राचार्या डॉ सुप्रिया के निर्देशन में आईक्यूएसी द्वारा भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर एक आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया जिसमें वक्ता के तौर पर डॉ स्मृति सिंह, ओएसडी, रांची विश्वविद्यालय रांची मौजूद रहीं। मौके पर उन्होंने बताया की भारतीय ज्ञान परंपरा जो वैदिक एवं उपनिषद काल में थी, वह बौद्ध और जैन काल में भी रही। यह विभिन्न विश्वविद्यालयों की स्थापना और शिक्षा व्यवस्था से स्पष्ट परिलक्षित होता है। लेकिन इसका लोप विगत 200 से 300 वर्षों में हुआ है। हमारी अद्भुत भारतीय ज्ञान परम्परा की संवाहक रही हैं स्त्रियां। भारतीय दर्शन, संस्कृति, परम्पराओं में नारी को पुरुषों से भी ऊंचा स्थान दिया गया है। भारतवर्ष में आदिकाल से ही नारीशक्ति का आदर तथा उपासना की गयी है। हमारे वेदों, उपनिषदों, शास्त्रों तथा स्मृतियों में इस तथ्य का बारम्बार उल्लेख मिलता है। गार्गी, मैत्रेयी, लोपामुद्रा आदि इनमें कुछ प्रमुख नाम हैं।

ज्ञान को प्राप्त करना

भारतीय ज्ञान परम्परा को समझने के लिए उन्होंने छात्राओं को उत्साहित करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा के तीन घटक हैं- दर्शन, विद्या तथा ज्ञान। दर्शन को समझना, विद्या अर्जित करना और ज्ञान को प्राप्त करना होता है। पारंपरिक ज्ञान की परिभाषा में कृषि ज्ञान, औषधीय ज्ञान, जैव विविधता से संबंधित ज्ञान, तथा संगीत, नृत्य, गीत, हस्तकला, डिजाइन आदि के रूप में लोककथाओं की अभिव्यक्ति जैसी श्रेणियों से संबंधित स्वदेशी ज्ञान शामिल है.पारंपरिक ज्ञान प्रणालियां जैव-आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग से जुड़े अद्वितीय समय-परीक्षणित ज्ञान, बुद्धिमत्ता, विश्वासों, परंपराओं और प्रथाओं का समावेश करती हैं। धन्यवाद ज्ञापन रांची विमेंस कॉलेज आर्ट्स ब्लॉक की प्रोफेसर इंचार्ज डॉ विनीता सिंह ने किया।