रांची (ब्यूरो) : इसमें मुख्य वक्ता के तौर पर पुरडु विश्ïवविद्यालय, यूएसए के आलोक आर चतुर्वेदी शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी संस्था की बुनियाद उसके शोध कार्य पर निर्भर करती है। खासकर शैक्षणिक संस्थानों को रिसर्च व नए अविष्कार पर सबसे ज्यादा जोर देना चाहिए। विदेशों में इस बात की ज्यादा गंभीरता दिखाई जाती है कि कौन सा विभाग व्यवहारिक जीवन के लिए बेहतर रिसर्च कर रहा है। उन्होंने कहा कि यूएसए के विश्वविद्यालयों में छात्रों द्वारा अनुसंधान को लेकर लगातार कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जिसका नतीजा है कि अमेरिका जैसे विकसित देश इंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में बेहतर कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संस्थान के सर्वांगिण विकास के लिए तकनीक, टैलेंट, मार्केट, रिक्स लेने की क्षमता और पूंजी एक-दूसरे से जुड़े हैं और सभी का अपना महत्वपूर्ण योगदान है।

इंटरप्रेन्योरशिप की संभावना

वहीं सीयूजे के वीसी क्षिति भूषण दास ने कहा कि भारत युवाओं का देश है, इसलिए यहां इनोवेशन एंड इंटरप्रेन्योरशिप की संभावनाएं अपार हैं, जिस पर हर संस्थान हर संभव कोशिश कर रहा है जो 2030 तक प्रधानमंत्री मोदी के लक्ष्यों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगा, जिससे करोड़ों रोजगार सृजित होंगे। इस दौरान उन्होंने प्रो चतुर्वेदी से आग्रह किया कि अमेरिकी शिक्षण संस्थानों के साथ सीयूजे अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करे तो विश्विद्यालय एवं युवाओं भविष्य के लिए बेहतर होगा।

इनकी रही मौजूदगी

कार्यक्रम की अध्यक्षता आईआईसी, सीयूजे के चेयरमैन डॉ डीबी लाटा, मंच का संचालन डॉ भाष्कर ने और समापन संबोधन डॉ जी पी सिंह ने दिया। सभागार में मुख्य वक्ता को सुनने के लिए विश्वविद्यालय के डीन, हेड, शिक्षक, शोधार्थी व कर्मचारी मौजूद थे।