- चप्पल तक घिस गई, कई दिन नहीं मिला खाना

- जाना है सुपौल, कोई गाड़ी नहीं तो पैर ही बना सहारा

- घंटों चलकर थकते हैं, तो सड़क किनारे बैठकर सुस्ता लेते हैं

- ट्रक वाले ने मदद की, तो पुलिस ने करा दी उठक-बैठक

शरीर को तोड़ देने वाली थकान और सूखते हलक के बावजूद पैदल चलते रहने की मजबूरी। आंखों में लाली और घिस चुकी चप्पलों के साथ मंगलवार की दोपहर ओडिशा से चले छह मजदूरों का एक जत्था रांची पहुंचा। सिटी के बहू बाजार स्थित सेंट पाल स्कूल के पास थक कर सभी सड़क के किनारे बैठ गए। पैदल चलकर ओडिशा के बरगड़ जिले से रांची पहुंचे लोगों के पास खाने का कोई सामान नहीं था। भूखे-प्यासे पैदल चलते हुए सैंकड़ों किलोमीटर से रांची पहुंचे इन लोगों ने अपनी चप्पलें दिखाईं, जिनमें छेद हो चुके थे। इन सभी को बिहार के सुपौल जिला पहुंचना है। इन्हीं में से एक धमर्ेंद्र बताते हैं कि अभी और चार दिनों तक लगातार चलेंगे, तब जाकर बिहार पहुंचेंगे।

पहली मई को ही निकले थे

मजदूरों ने बताया कि ये सभी पहली मई को ही ओडिशा से निकले थे। लगातार पांच दिनों तक चलते रहे, तब जाकर रांची पहुंचे हैं। बीच में एक ट्रक वाले से इन्होंने मदद मांगी, तो ट्रक वाले ने बिठा लिया। लेकिन, भाग्य ने साथ नहीं दिया। करीब 33 किलोमीटर तक चले ही थे कि पुलिस वालों ने ट्रक को रोक लिया। इन सभी को उतार कर ट्रक ड्राइवर से उठक-बैठक कराई। ट्रक ड्राइवर ने भी इन सभी को आगे ले जाने से इंकार कर दिया। इसके बाद फिर शुरू हुआ पैदल चलने का सिलसिला। धमर्ेंद्र बताते हैं कि सभी दिन भर पैदल चलते थे और रात को किसी के दरवाजे पर मदद मांगने जाते थे, तो उन्हें बाहर ही कहीं सो जाने को कहा जाता था। इस दौरान दो जगह खाना मिला।

समाजसेवी ने की मदद

रांची के युवा समाजसेवी मुनचुन राय ने इन सभी की मदद की। सभी को खाना खिलाया और कुछ पैसे भी दिए। मुनचुन ने बताया कि मजदूरों को खाने का सामान भी दिया गया है, ताकि आगे इन्हें भूखे पेट न चलना पड़े।