रांची(ब्यूरो)। जैसे-जसे गर्मी की तपिश बढ़ रही है शहर में आगजनी की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। अगर शहर में आग लगती है तो आग कैसे बुझेगी, क्योंकि झारखंड के अग्निशमन विभाग के पास मैन पावर की भारी कमी है। रांची के डोरंडा स्थित अग्निशमन विभाग की ओर से खाली पड़े पदों के लिए कई बार सरकार को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन अभी तक रिक्तियों को भरा नहीं जा सका है। स्टेट फायर ऑफिसर जगजीवन राम कहते हैं कि गृह विभाग को अग्निशमन विभाग में खाली पदों को भरने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जल्द ही खाली पदों पर नियुक्ति का विज्ञापन आएगा। विभाग में कुल 875 पद सृजित हैं, जबकि विभाग 433 पदाधिकारियों और कर्मचारियों से ही काम चला रहा है। यानी विभाग के पास वर्तमान में आधे से ज्यादा यानी 442 कर्मचारियों की कमी है।

जुगाड़ तंत्र का भरोसा

झारखंड अग्निशमन विभाग के पास आधारभूत संरचना की कोई कमी नहीं है, लेकिन उन संसाधनों के एक्सपर्ट की कमी है। जो उपलब्ध मैन पावर हैं वो एग्जिस्टिंग सिस्टम का हिस्सा बन चुके हैं। मतलब साफ है कि मैन पावर के जुगाड़ तंत्र के भरोसे झारखंड राज्य का अग्निशमन विभाग चल रहा है।

स्टेट में है 35 फायर स्टेशन, रांची में 5

झारखंड में कुल 35 फायर स्टेशन हैं, जहां वाटर टेंडर, वॉटर वॉयजर, होम वाटर टेंडर, मिनी वाटर टेंडर, इमरजेंसी रेस्क्यू टेंडर, ब्रांडों स्काई लिफ्ट जैसे वाहनों के जरिए आग पर काबू पाया जाता है, लेकिन इन सभी जगहों पर कर्मचारियों की भारी कमी है।

सभी जगह कर्मियों की कमी

झारखंड में राजधानी रांची के अलावा गिरिडीह, डालटनगंज, जमशेदपुर के गोलमुरी, मानगो, बहरागोड़ा, सरायकेला, आदित्यपुर और चांडिल, बोकारो, गढ़वा, कोडरमा, धनबाद के झरिया और सिंदरी, चाईबासा, चतरा, लातेहार, गुमला, दुमका, गोड्डा, हजारीबाग, बरही, देवघर, साहिबगंज, पाकुड़, लोहरदगा, सिमडेगा, जामताड़ा, रामगढ़, खूंटी, चास और हुसैनाबाद में फायर स्टेशन हैं। इसके अलावा जमशेदपुर के सोनारी हवाई अड्डा और तेनुघाट बोकारो में भी फायर ब्रिगेड की सुविधा है, लेकिन इन सभी जगहों पर कर्मचारियों की घोर कमी है।

रांची में आग बुझाना परेशानी

शहर में ऊंची इमारतों के बनने से यह परेशानी और बढ़ गई है। शहर में कई जगह गली-मोहल्लों में बड़े-बड़े अपार्टमेंट खड़े हो गए हैं। अगर कहीं आग लगने जैसी घटना होती है तो वहां फायर ब्रिगेड की गाडिय़ों को घुसने तक में परेशानी होती है। विभाग के पास वैसे उपकरण नहीं है, जिससे 15 से अधिक मंजिली इमारतों तक पहुंचा जा सके। दूसरी ओर अन्य महानगरों में आधुनिक अग्निशमन उपकरण से लैस होता है विभाग। झारखंड सरकार का ध्यान शायद इस ओर नहीं गया है कि गलती से कभी अगलगी की घटना हो जाए तो कैसे इस पर काबू पाया जाए।

अपर बाजार में हमेशा डर

तंग गलियों में बसे शहर के अपर बाजार इलाके की पहचान बिजनेस हब के रूप में है। करोड़ों रुपये का हर दिन कारोबार होता है लेकिन सुरक्षा भगवान भरोसे है। यदि गलती से आग लग गयी तो सब कुछ खाक हो जाएगा। तंग गलियों में दमकल भी नहीं जा सकता। पूरे झारखंड के कारोबारी अमूमन यहीं से सामान खरीदते हैं। हर रोज तकरीबन 80 हजार लोग अपर बाजार खरीदारी करने आते हैं। भीड़ इतनी होती है कि इन संकरी गलियों में पैदल चलना तक मुश्किल होता है। व्यवसायियों की मानें तो केवल अपर बाजार से ही प्रतिदिन कम से कम 10 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है।

सड़कों की चौड़ाई 6-8 फीट

इस बिजनेस हब के श्रद्धानंद रोड, मौलाना आजाद रोड, गांधी चौक, सोनार पट्टी, ज्योति संगम रोड, कपड़ा पट्टी, रंगरेज गली, काली बाबू स्ट्रीट, महुआ गद्दी रोड की सड़कों की हालत ऐसी है कि किसी सड़क की चौड़ाई मुश्किल से छह फीट है तो किसी की चौड़ाई आठ फीट है। एक-दो प्रतिष्ठानों को छोड़ दिया जाए तो किसी ने अपनी दुकान में फायर फाइटिंग की व्यवस्था नहीं की है। ऐसे में यदि कभी अगलगी की घटना घटती है तो आग बुझाना मुश्किल होगा।

कई कॉलोनियों का भी बुरा हाल

यह हालत केवल अपर बाजार क्षेत्र में ही नहीं है। बल्कि ऐसी गलियों की भरमार शहर के विभिन्न इलाकों में है। इन गलियों में भी किसी की चौड़ाई मात्र पांच फीट है, तो किसी की चौड़ाई सात से आठ फीट है। अनियमित रूप से बसी ये कॉलोनी वार्ड नं 31 के मधुकम, इरगू टोली, आनंद नगर, विद्यानगर, हिंदपीढ़ी, खेत मोहल्ला सहित एचइसी क्षेत्र में हैं। इन कॉलोनियों में भी रांची नगर निगम से बिना नक्शा पास कराए आवास का निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। इन अवैध निर्माणों की जानकारी जब भी नगर निगम को दी जाती है तो इसके अभियंताओं की बांछें खिल जाती हैं। जांच के नाम पर मकान मालिक से मोटी रकम वसूली जाती है और कोरम पूरा हो जाता है। रिपोर्ट में लिख देते हैं कि ऐसा कोई अवैध निर्माण संबंधित मोहल्ले में हो ही नहीं रहा है।

गर्मी को देखते हुए अग्निशमन विभाग पूरी तरह से तैयार है। चार नई गाडिय़ों का आर्डर दिया गया है जो अप्रैल महीने तक में विभाग के पास पहुंच जाएंगी। वहीं, जितने स्वीकृत पद हैं उससे आधे कर्मचारी अभी काम कर रहे हैं। लेकिन कर्मचारियों की नियुक्ति करने के लिए गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है।

जगजीवन राम, स्टेट फायर ऑफिसर, झारखंड