RANCHI:राज्य सरकार के राजस्व, निबंधन व अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता हाजी हुसैन अंसारी का शनिवार को निधन हो गया। 23 सितंबर को उन्हें इरबा स्थित मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। कोरोना की चपेट में आने के बाद उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही थी। हालांकि, 2 अक्टूबर को उनकी कोविड टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इसके बाद शनिवार को उनकी हालत बिगड़ी, तो उन्हें वेंटिलीटर पर रखा गया। दिन के करीब 3.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।

सांस लेने में थी तकलीफ

डॉक्टरों के अनुसार, उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। शनिवार को कार्डियक अरेस्ट होने से उनकी मौत हो गई। उनके निधन से उनके पैतृक शहर मधुपुर सहित पूरे राज्य में शोक की लहर है। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत तमाम राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने अंसारी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।

मानसून सत्र में थे मौजूद

72 वर्षीय हाजी हुसैन अंसारी कोरोना संक्रमण के अलावा डायबिटीज और हृदय रोग से पीडि़त थे। पहले पेसमेकर लगाने के लिए हार्ट का आपरेशन भी हो चुका था। वहीं, कोरोना का संक्रमण उनके फेफड़े में पहुंच गया था। अंसारी 16 सितंबर को मधुपुर से रांची आए थे। इस दौरान 17 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र में भी उन्होंने भाग लिया था। 23 सितंबर को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उन्हें इलाज के लिए रांची के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

चार बार विधायक और मंत्री रहे

हाजी हुसैन अंसारी मधुपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक चुने गए थे। उन्हें चार बार मंत्री बनने का भी मौका मिला। 1995 में पहली बार वे विधायक चुने गए थे। इसके बाद वर्ष 2000, 2009 और 2019 के विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने मधुपुर से जीत हासिल की। कांग्रेस से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले हाजी हुसैन अंसारी 90 के दशक में झामुमो में शामिल हो गए थे। अलग झारखंड आंदोलन के दौरान भी वह काफी सक्रिय रहे थे। इस दौरान वह जेल भी गए। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन के विश्वासपात्र नेताओं में अंसारी की गिनती होती है। हाजी हुसैन अंसारी झारखंड की हज कमेटी के चेयरमैन भी रहे हैं। उनका जन्म दो मार्च 1948 को मधुपुर के पिपरा गांव में हुआ था।

बाहर ले जाने की दी थी सलाह

मंत्री हाजी हुसैन अंसारी को गुड़गांव स्थित मेदांता शिफ्ट करने की सलाह रांची मेदांता की ओर से दी गई थी। उनके दोनों पुत्रों को इस बात की अस्पताल प्रबंधन की ओर से जानकारी दी गई थी कि गुड़गांव में उनका बेहतर इलाज हो सकता है, इसलिए उन्हें एयर एंबुलेंस से वहां शिफ्ट किया जाना चाहिए। इसके बावजूद रांची में रखकर इलाज करने का फैसला लिया गया।

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राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र को अपूरणीय क्षति : राज्यपाल

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने श्री अंसारी के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि उनके निधन से राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

झारखंड आंदोलन में निभाई अग्रणी भूमिका : मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि हाजी साहब का निधन उनके लिए बड़ा झटका है। उन्होंने झारखंड आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाई थी। वे सरल स्वभाव वाले जन नेता थे।

शिक्षा मंत्री की स्थिति गंभीर

राज्य के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी कोरोना संक्रमित हैं। उन्हें इलाज के लिए पहले रिम्स में भर्ती कराया गया था। बाद में उन्हें भगवान महावीर मेडिका हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। उनके फेफड़े में संक्रमण है और उन्हें 100 फीसदी ऑक्सीजन पर रखा गया है। सांस लेने में तकलीफ हो रही है और पिछले तीन दिनों से उनकी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

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पचास वर्ष से ऊपर वालों के लिए घातक

झारखंड में 50 वर्ष से अधिक उम्र के कोरोना संक्रमितों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस के संक्रमण से अबतक जितने लोगों की मौत हुई है, उनमें 75 फीसद इसी आयु वर्ग के हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक अक्टूबर तक राज्य में 721 लोगों की मौत कोरोना से हुई है। इनमें से 177 लोग 50 वर्ष से कम तथा 544 लोग 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के थे। इस तरह मरनेवालों में लगभग 25 फीसद 50 वर्ष से कम तथा 75 फीसद 50 वर्ष से अधिक उम्र के थे।