रांची (ब्यूरो)। एंबुलेंस चालक के हाथों में किसी की जिंदगी होती है। गंभीर मरीजों का समय पर अस्पताल पहुंचाने जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी इन ड्राइवरों की ही रहती है। लेकिन क्या हो, जब इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेवारी रखने वाला ही अनस्किल्ड हो। यानी एंबुलेंस चालक को ड्राइविंग ही नहीं आती हो और उसे एंबुलेंस की चाबी थमा दी गई हो। जी हां, राजधानी रांची में कुछ ऐसा ही हुआ है। सिटी के बरियातू में 108 एंबुलेंस चालक की लापरवाही से एंबुलेंस नाली में फंस गई। दो पहिया नाले में फंस गया और घंटों मशक्कत के बाद क्रेन की मदद से निकाला गया है। लेकिन इस दौरान काफी देर तक मरीज की जान सांसत में अटकी रही। मरीज के परिजन और आसपास के लोगों की मदद से किसी तरह पहिया निकाला गया, जिसके बाद मरीज को हॉस्पिटल पहुंचाया गया।

क्या कहता है चालक

ऐसे में ड्राइवर की लापरवाही और अनस्किल्ड ड्राइवर के कारण अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता है। एंबुलेंस चालक ने बताया कि बारिश के कारण गड्ढा में जल जमाव था, जिस वजह से सड़क का पता नहीं चला और वाहन का पहिया गड्ढे में फंस गया। एंबुलेंस चालक ने कहा कि कई इलाकों में ऐसी परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। सड़क की हालत खराब होने के कारण ऐसी समस्याएं हो रही हैं। खासकर रात के समय में ज्यादा परेशानी होती है।

हुनरमंद ड्राइवर की तलाश

सिटी में 337 एंबुलेंस का संचालन किया जा रहा है। इसमें और नए 206 आधुनिक एंबुलेंस को जोड़ा गया है। पूर्व की एजेंसी जिकित्जा प्राइवेट लि। द्वारा 108 सर्विस प्रोवाइड कराई जा रही थी। लेकिन टर्म खत्म होने के बाद उसकी जिम्मेवारी ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विस को सौंप दी गई है। एजेंसी के पदाधिकारियों का कहना है कि एंबुलेंस चलाने के लिए हुनरमंद ड्राइवर नहीं मिल रहे हैं। एंबुलेंस को चलाने के लिए ड्राइवर और ईएमटी स्टाफ ही उपलब्ध नहीं हैं। फिलहाल जो ड्राइवर अवेलेबल हैं, उन्हीं से सर्विस ली जा रही है। लेकिन इनमें कुछ चालक ऐसे हैं जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं है।

नहीं दी गई ट्रेनिंग

एंबुलेंस चालकों को किसी प्रकार की कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई है। सिर्फ उनकी योग्यता देख कर नियुक्ति कर दी जाती है। जबकि समय-समय पर एंबुलेंस चालकों का प्रशिक्षण जरूरी होता है। कई बार ऐसी भी शिकायतें आई हैं जिसमें वाहन चालक नशे की हालत में एंबुलेंस ड्राइव करता है। हालांकि, अबतक कोई गंभीर घटना नहीं हुई है। लेकिन मरीज के परिजन और एंबुलेंस चालक के बीच नोकझोंक की शिकायतें अक्सर आती रहती हैं। सड़क पर एंबुलेंस को आता देख हर कोई उसे रास्ता दे देता है। ट्रैफिक सिग्नल पर भी एंबुलेंस को रुकने की जरूरत नहीं है। ट्रैफिक पुलिस एंबुलेंस को निकालने में मदद करती है। लेकिन जिनके हाथ में एंबुलेंस की स्टेयरिंग है उन्हें भी अपनी जिम्मेवारी समझने की जरूरत है।

आरसीडी भी है जिम्मेवार

सड़क का खराब होना भी समस्या की वजह है। बरियातू रोड में मेडिकल से संबंधित कई हॉस्पिटल, क्लिनिक और मेडिकल शॉप इत्यादि हैं। लेकिन इस सड़क का हाल भी बेहाल है। हल्की बारिश में ही यहां जल जमाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है। सड़क पर वाहनों के फंसने के लिए जिम्मेवार रोड कंस्ट्रक्शन विभाग भी है। सड़क पर कई जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं, जिनमें सिर्फ एंबुलेंस ही नहीं, बल्कि सामान्य वाहन भी फंस रहे हैं। आसपास के लोगों का कहना है कि रात में लाइट भी नहीं रहती, जलजमाव के कारण गड्ढे नजर नहीं आते हैं। कई बार लोग गड्ढों में गिर चुके हैं। अब एंबुलेंस भी यहां फंसने लगी है। कुछ साल पहले ही सड़क की मरम्मत कराई गई थी, लेकिन क्वालिटी खराब होने की वजह से बारिश में फिर से स्थिति खराब हो चुकी है। इस सड़क की मरम्मत में करोड़ो रुपए फूंक दिए गए हैं। लेकिन कभी भी बरियातू रोड पूरी तरह दुरुस्त नहीं रहा।

ड्राइवर की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है। उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस के साथ-साथ तीन साल का अनुभव होना भी अनिवार्य है। साथ ही 12वीं पास होना भी जरूरी है।

-आलोक त्रिवेदी, अभियान निदेशक , एनएचएम