RANCHI: रिम्स को एम्स की तर्ज पर टॉप लेवल का हॉस्पिटल बनाने की बात की जा रही है। लगातार नई-नई बिल्डिंग भी बनाई जा रही हैं। इसके अलावा नए वार्ड भी खोले गए। लेकिन मरीजों को जरूरी सुविधाएं बमुश्किल ही मिल पा रही हैं। वहीं हॉस्पिटल में बने कई वार्ड सुविधाओं से लैस होने के बावजूद खाली पड़े हुए हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर मरीजों को रिम्स में व‌र्ल्ड क्लास की सुविधाएं कब मिलेंगी?

16.13 करोड़ की बिल्डिंग में एक मरीज

पेइंग वार्ड

16.13 करोड़ की लागत से सुपरस्पेशियलिटी कैंपस में 100 बेड का पेइंग वार्ड बनाया गया है, जहां हर कमरे में फाइव स्टार फैसिलिटी उपलब्ध कराई गई है। रूम में बेड, एसी, टीवी, फ्रीज, सोफा और गीजर भी है। इन सुविधाओं के लिए हर दिन का चार्ज एक हजार रुपए तय किया गया है। लेकिन वर्तमान में करोड़ों की इस बिल्डिंग में एकमात्र मरीज लालू यादव एडमिट हैं। वहीं कोरोना को देखते हुए एक फ्लोर पर आइसोलेशन वार्ड भी बनाया गया है।

हाईलाइट्स

-100 बेड का सुपरस्पेशियलिटी सुविधा से लैस पेइंग वार्ड

-आयुष्मान के मरीजों को भी देने का था आदेश

64 करोड़ के सेंटर में 70 परसेंट बेड खाली

ट्रॉमा सह सेंट्रल इमरजेंसी

सुपरस्पेशियलिटी कैंपस के सामने ही 100 बेड का ट्रामा सह सेंट्रल इमरजेंसी का निर्माण हुआ। एम्स की तर्ज पर बनाई गई इस बिल्डिंग में 64 करोड़ 67 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। वहीं मरीजों के लिए लाइफ सपोर्ट के साथ ही सारी सुविधाएं भी अवेलेबल हैं। जिससे कि गंभीर मरीजों को नया जीवन मिल सकता है। लेकिन इतनी बड़ी बिल्डिंग में आजतक सेंट्रल इमरजेंसी को शिफ्ट नहीं किया जा सका। वहीं ट्रामा के गिनती के मरीजों का ही इलाज हो रहा है। जबकि 70 परसेंट बेड खाली पड़े हैं।

हाईलाइट्स

-100 बेड का ट्रामा सेंटर, खाली पड़े हैं 60 बेड

-न्यूरो में जमीन पर मरीज, इमरजेंसी में भी भीड़

7 करोड़ रुपए खर्च के बाद भी वार्ड नहीं

डेंटल कॉलेज बिल्डिंग

डेंटल कॉलेज बिल्डिंग के निर्माण में 7 करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। 2008 में शुरू हुई इस बिल्डिंग को फाइनल टच भी दिया जा चुका है। इसके बावजूद आजतक डेंटल के मरीजों के लिए न तो ऑपरेशन थियेटर बना है और न ही इनडोर वार्ड बनाए गए हैं। इससे मरीजों को ऑपरेशन के लिए डेट मिलती है। वहीं ऑपरेशन कराने के बाद उन्हें सर्जरी वार्ड में रखकर निगरानी की जाती है।

हाईलाइट्स

-सर्जरी के लिए नहीं है अपना ऑपरेशन थिएटर

-ऑपरेशन के बाद दूसरे विभागों पर रहते है डिपेंड