रांची (ब्यूरो)। साइबर सुरक्षा को लेकर सीओई, रांची द्वारा दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हैकर्स को आकर्षित करने के लिए एक वर्चुअल रिफाइनरी बनाई गई और जानबूझकर हैकर्स को फंसाने और उनके व्यवहार का अध्ययन करने के लिए पोर्ट्स को खुला रखा गया। इस रिसर्च का उद्देश्य हैकर्स के तौर-तरीकों की जांच करना था। जो आंकड़े मिले हैैं, उनसे वास्तविक नेटवर्क पर भविष्य के हमलों को कम किया जा सकता है।

चौंकाने वाले अंकड़े मिले

रिसर्च ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि सीओई सेटअप को देश के भीतर और बाहर से भी एक विश्वसनीय संख्या में खतरे मिले। अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान तैनात नेटवर्क इंस्टेंस ने वैश्विक स्तर पर 40937 यूनिक आईपी एड्रेस की कुल संख्या में से 50,477,393 हमले कैप्चर किये। अधिकांश ट्रैफिक रूस, आयरलैंड और चीन से दिखाई दिया।

80282 पासवर्ड का इस्तेमाल

शीर्ष सर्वाधिक हमले वाले पोट्र्स के आंकड़ों से सिस्टम ने सबसे अधिक अटैक्स किए गए प्रोटोकॉल्स की पहचान की। सिस्टम को कुल 26166 यूजर नेम मिले और हमलावरों द्वारा नेटवर्क में लॉग इन करने के लिए कुल 80282 पासवर्ड का इस्तेमाल किया गया। खतरे के विश्लेषण के दौरान, सिस्टम ने पहचाना कि पर्यावरण से समझौता करने के बाद, हमलावरों ने कई टर्मिनल कमांड चलाने की कोशिश की और सिस्टम पर दुर्भावनापूर्ण पेलोड डाउनलोड करने का भी प्रयास किया। इस दौरान तैनात नेटवर्क इंस्टेंस ने रूस से कुल 2035 विशिष्ट आईपी पतों से कुल 6,835,333 हमले की घटनाओं पर कब्जा कर लिया।

क्यों हो रहे हैैं हमले

इंटरनेट पर साइबर हमलों का सीधा मकसद है डेटा की चोरी। इसके जरिए हमलावर संस्थानों से लेकर पर्सनल डेटा तक चोरी करते हैैं और उसे मोटी रकम में डार्क वेब में बेच देते हैैं। अभी तक छोटे-छोटे फ्रॉड के जरिए लोगों के अकाउंट से पैसे चुराने की घटनाएं सामने आती रही हैैं। लेकिन, जिस बड़े पैमाने पर विदेशों में बैठे हैकर्स साइबर अटैक कर रहे हैैं, उससे नेशनल लेवल के संस्थानों पर भी खतरा बढ़ गया है। बैैंक, हॉस्पिटल, कमांड सेंटर्स, सरकारी तथा गैर सरकारी शिक्षण संस्थान आदि के डेटा हैक कर हमलावर किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने के फिराक में हैैं।