स्लग: सवालों में घिर रहे हैं रिवरसा अपार्टमेंट हत्याकांड के एकमात्र चश्मदीद

रांची : रिवरसा अपार्टमेंट में अपनी आंखों के सामने फैमिली के पांच लोगों की मौत के मूकदर्शक डॉ सुकांतो खुद पर चाकू से कई वार करने के बावजूद जिंदा बच तो गए हैं, लेकिन उनपर ही उठ रहे सवाल ताजिंदगी उनका पीछा नहीं छोड़ेंगे। डॉ सुकांतो के मुताबिक, एक-दूजे को मौत की नींद सुलाने का फैसला अंजना सरकार, मोमिता सरकार तथा समीर सरकार ने लिया था। जिस वक्त सभी एक दूसरे को इंजेक्शन का ओवरडोज दे रहे थे, उस वक्त वे वहीं थे। उन्होंने कहा है, आठ अक्टूबर, 2016 की शाम सात बजे दोनों बच्चे खाना खाकर सो गए। शेष सभी तीनों बड़े समीर, मोमिता एवं पत्‍‌नी अंजना ने फैसला सुनाया कि वे सभी मौत को गले लगाने जा रहे हैं। पत्‍‌नी अंजना ने कहा था कि तुन्हें जिंदा रहना है तो रहो, अब हमलोग जीकर क्या करेंगे? मधुमिता हमलोग को जेल भिजवा ही देगी, तो उससे अच्छा है कि हम सभी मर जाएं। डॉ सुकांतो के मुताबिक, उन्होंने तीनों से कहा कि तुमलोग गलत रास्ता अपना रहे हो। ईश्वर व समय पर भरोसा रखो, सब ठीक हो जाएगा। बुरा समय आता है, लेकिन समय के साथ सब ठीक हो जाता है। पर उनलोगों ने उनकी बातों को नहीं सुना और एक दूसरे को इंजेक्शन लगाते रहे। वह चुपचाप हताश बैठे रहे। बयान के मुताबिक, रात करीब 11 बारह बजे तीनों ने एक-दूसरे को और दोनों बच्चियों को इंजेक्शन दिया और वहीं पर सो गए, जहां पिछले दो दिनों से सो रहे थे।

बोले, खुद के बचने पर अफसोस है

डॉ सुकांतो के अनुसार, उस रात करीब दो-तीन बजे मुझे लगा कि यह एक पारिवारिक विवाद नहीं, बल्कि सामाजिक चिंता का विषय है। एक शादीशुदा लड़की जो बोलती है, कानून और समाज उसे ही मानता है। यह एक गंभीर विषय है। ऐसा सोचकर मैंने भी निर्णय लिया कि मैं भी जान दे दूंगा। खुद को चाकू मारने का निर्णय क्यों लिया? इसपर डॉ सुकांतो का कहना है कि मुझे लगा कि इस तरह खुद को मारूंगा तो समाज हमारी हालत को देखेगा, समाज इस तरह के मामलों में कुछ सोचेगा। बकौल डॉ सुकांतो, उन्होंने किचेन नाइफ से हार्ट के पास और गले के ऊपर वार किया। दोनों पैर की नसों एवं दोनों हाथ की नसों को काटा। कहा, 'छह इंच का किचेन नाइफ मैंने अपने गले एवं हार्ट में पूरे के पूरे अंदर किया था, किंतु मैं कैसे बच गया, पता नहीं। छाती में दिल के ऊपर चार बार एवं गले में छह सात बार किचेन नाइफ से मैं वार किया था। वावजूद मेरा बचना दुर्भाग्य है.'

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डॉक्टर फैसले में शामिल नहीं थे तो ये कदम क्यों नहीं उठाए

- जब सबने एक दूसरे को इंजेक्ट किया तो उनलोगों को रोका क्यों नहीं?

- पुलिस को इंफार्म क्यों नहीं किया और भांजे को क्यों नहीं सूचना दी

- पार्थिब जब रात में आ गया था तो उसे अपने फ्लैट में क्यों नहीं आने दिया गया

- ट्रैफिक का बहाना बनाकर क्यों रोक दिया था डॉ पार्थिव को फ्लैट में आने से

- सबके मुंह के पास कॉटन थे तो इंजेक्ट करने से पहले उन्हें एनेस्थिसिया किसने सुंघाया था

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कोलकाता के आश्रम से लाया था दोनों को

63 वर्षीय डॉ सुकांतो सरकार ने पुलिस को बयान दिया है कि वर्ष 2007 में आर्मी से रिटायर हो चुके हैं। डॉ सुकांतो सरकार के मुताबिक, यह घटना पारिवारिक विवाद के कारण हुई है। वर्ष 2006 के 23 नवंबर को उनके बेटे समीर सरकार की शादी मधुमिता दास गुप्ता कोलकाता दक्षिणेश्वर निवासी के साथ हुइ थी। शादी के बारे में यह विचार था कि जो लड़की नीडी हो, वैसी ही लड़की को लाएं। मधुमिता दास गुप्ता और उसकी छोटी बहन मोमिता दास गुप्ता दक्षिणेश्वर के आश्रम में पली थी। उनकी माताजी घर छोड़कर चली गई और पिता ने नहीं रखा था। शादी के बाद जब बहू मधुमिता जब घर आई तो छोटी बहन मोमिता की अवस्थता के विषय में हमारे परिवार को पता चला, तो 2007 में उसे अपने घर दिल्ली मयूर विहार लाया गया। तब हमलोग वहीं रहते थे। मोमिता को अपने घर पर पालन पोषण एवं पढ़ाई लिखाई कराई।

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दो साल में ही मधुमिता ने दिखाए रंग

वर्ष 2008 से ही मधुमिता का व्यवहार परिवार के सदस्यों के साथ ठीक नहीं रहने लगा। ऐसा लगता था कि मोमिता के प्रति बेटी जैसा प्रेम मधुमिता को अच्छा नहीं लगा। वर्ष 2009 के 12 मार्च से समीर और मधुमिता की बेटी हुई। हम पहले मयूर विहार के फेज वन चौथी मंजिल पर रहते थे। लिफ्ट की व्यवस्था नहीं थी। मधुमिता के प्रेगनेंट के समय उसके सुविधा के लिए र्फोटिस अस्पताल में डिलीवरी कराएंगे, ऐसा सोचकर नोएडा सेक्टर 62 में शिफ्ट कर गए। जिसके सामने ही अस्पताल था। अपार्टमेंट में लिफ्ट की सुविधा थी। डिलीवरी के बाद मधुमिता को नौकरी करने की इच्छा हुई। हमने बच्ची को दो वर्ष की हो जाने के बाद ही नौकरी की सलाह दी, लेकिन मधुमिता को अच्छा नहीं लगा और वह घर में झगड़ा-झंझट करने लगी। दो वर्ष के बाद हमारे घर के सामने एरेना इंस्टीट्यूट में उसकी इच्छानुसार वेब डिजाइनिंग कोर्स 10 महीने की कराई। उसके बाद उसने नौकरी शुरू की। हर साल उसकी नौकरी बदलने लगी।

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