-सीयूजे में भारतीय साफ्ट पावर विषय पर दो दिनी सेमिनार शुरू

-एक्सपर्ट ने भारतीय साफ्ट पावर के डिप्लोमेसी में इस्तेमाल पर दिया जोर

RANCHI: साफ्ट पावर की अवधारणा सदियों पुरानी है। इसका जिक्र उपनिषदों में भी मिलता है। बदलते दौर में भारत को अपने साफ्ट पावर को निखारने की जरूरत है, ताकि योग,अध्यात्म व मानव कल्याण के लिए भारतीय मनीषा को दुनियाभर में फैलाया जा सके। ये बातें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो वीसी प्रो। चिंतामणि महापात्रा ने सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड में आयोजित नेशनल सेमिनार में सोमवार को कहीं। दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन अंतरराष्ट्रीय संबंध केंद्र कोलकाता के इंस्टीट्यूट ऑफ एशियन स्टडीज के सहयोग से किया जा रहा है।

भारत विशेषताएं अपना रही दुनिया

सेमिनार के दूसरे वक्ता जेएनयू के अंतरराष्ट्रीय संबंध केंद्र के प्रोफेसर अश्रि्वनी महापात्रा ने कहा कि भारत में कई ऐसी विशेषताएं है, जिन्हें आज पूरी दुनिया अपना रही है। बौद्ध धर्म पश्चिम में फैल रहा है। ऐसे में भारत सरकार को अपने साफ्ट पावर का प्रयोग अपनी डिप्लोमेसी में मुखर रूप से करना चाहिए। सेमिनार के अन्य प्रमुख वक्ताओं में सीयूजे के प्रभारी वीसी प्रो। एएन मिश्रा, मणिपाल यूनिवर्सिटी के प्रो। अरविंद कुमार, जेपीएससी के मेंबर प्रो। केके भगत शामिल थे। इस सेमिनार में कई यूनिवर्सिटी से टीचर, रिसर्च स्कॉलर भी भाग ले रहे हैं।