RANCHI: कभी ओवरवेट(85 किलो)होने के कारण सहेलियों का ताना सहने वाली कांके की चौड़ी निवासी गीता सिंह अपनी इच्छाशक्ति व तप की बदौलत आज स्लिम हो चुकी हैं। यही नहीं, दूसरों की हंसी का पात्र बनने वाली यह गीता आज अपनी जैसी विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे 60-70 लोगों को स्वस्थ कर इलाके में एक डॉक्टर के रूप में लोकप्रिय भी हो चुकी हैं। सीएमपीडीआई में कार्यरत हरेकृष्ण कुमार की पत्नी के रूप में जानी-जाने वाली गीता सिंह की आज खुद की पहचान बन गई है। नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी के रूप में हमारे बीच रहने वाली गीता सिंह की कहानी।

बैठने के बाद उठने के लिए सहारा

गीता सिंह कहती हैं कि मोटापा के कारण चल-फिर भी नहीं पाती थी। बैठने के बाद उठने के लिए किसी का सहारा लेना पड़ता था। शरीर बार-बार सूज जाता था। सांस की भी प्रॉब्लम होने लगी। सिर दर्द, माइग्रेन से लगभग 14 सालों तक परेशान रहीं। इस बीच वह नामी-गिरामी कई डॉक्टरों के पास इलाज के लिए पहुंची। डॉक्टर ने उन्हें स्टेंट लगाने की सलाह दी। अस्पताल में एडमिट भी कर दिया गया और डेढ़ लाख रुपए की डिमांड की गई। लेकिन उस वक्त उन्होंने स्टेंट नहीं लगवाया। इसके बावजूद गीता सिंह अपना वेट कम करने की ठानी। इस प्रकरण में उन्होंने अपने न्यूट्रिशन के माध्यम से ना सिर्फ अपना वजन कम किया, बल्कि अब जिन लोगों ने उन्हें देखा था, वे भी उन्हें पहचान नहीं पाए। आज गीता सिंह ओवरवेट से जूझ रही महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गो के लिए प्रेरणास्रोत बन गई हैं।

रंग लाई 90 दिनों की मेहनत

गीता के मुताबिक, उसके लीवर फैटी हो गए थे। पेट में दर्द रहता था और चेस्ट पेन भी रहता था। डॉक्टरों ने उन्हें जब ट्रेडमिल पर दौड़ाया तो वह गिर पड़ी थी। उन्होंने अपने इलाज के लिए बेंगलुरू, दिल्ली, मुंबई के कई नामी-गिरामी डॉक्टरों को दिखाया। चेकअप में लाखों रुपए खर्च किए। लेकिन सब बेकार हो गया। गीता ने अपने मोटापे और ओवरवेट को एक चैलेंज के रूप में ले लिया। उन्हें भरोसा था। फिर उन्होंने अपने खान-पान में परहेज करना शुरू कर दिया। समय के मुताबिक अपने दैनिक क्रियाकलाप में बदलाव लाया। धीरे-धीरे उन्होंने अपने शरीर में परिवर्तन पाया और उनके मोटापे में कमी आई। वह जोश और उत्साह में आ गई। महज 90 दिनों की अथक मेहनत के बाद आज वह पूरे इलाके में स्लीम महिला के रूप में जानी जाती हैं।

अब डॉक्टर गीता

आज की गीता एक डॉक्टर बन गई है। गीता सिंह का कहना है कि मेरे अंदर बीमारी लोगों के लिए वरदान साबित हुई। गीता ने प्रण लिया कि अब वह अपने जैसे मरीजों को ठीक करेंगी। अब तक गीता सिंह ने 60 से 70 लोगों को ठीक किया है। असाध्य रोगों के प्रति भी सजग रहती हैं। हाल ही में उन्होंने एक स्कूल की प्रिंसिपल की बेटी जो चल फिर नहीं पाती थी अपने न्यूट्रिशन पर उसे चलने-फिरने के काबिल बना दिया। अब तक उनके पास राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, पंजाब, रांची, जमशेदपुर समेत कई राज्यों से लोग फोन करते हैं और वे उन्हें स्लीम होने के उपाय बताती हैं।