RANCHI:रांची के अशोक नगर रोड नंबर एक स्थित एक न्यूज चैनल के कार्यालय में पिछले साल छह मार्च की शाम दो सगे भाइयों हेमंत और महेंद्र अग्रवाल की हत्या की गयी थी। हत्याकांड के डेढ़ साल होने वाले हैं, लेकिन मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी और एमके सिंह को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है। पुलिस इनका पता भी नहीं लगा पायी है कि आखिर दोनों कहां छिपकर रह रहे हैं। दोनों भाइयों की हत्या का ये मामले ने इतना जोर पकड़ा था कि रांची पुलिस ने मुख्य आरोपियों की पकड़ के लिए तीन-तीन एसआईटी का गठन उसी दिन कर दिया था। तत्कालीन सिटी एसपी सुजाता वीणापाणि के नेतृत्व में एसआईटी छापेमारी भी कर रही थी। बिहार, बंगाल और यूपी की कई जगहों पर एसआईटी ने छापेमारी की थी, लेकिन इसके बाद भी दोनों मुख्य आरोपियों का लोकेशन तक पुलिस पता नहीं लगा पायी।

भगोड़ा घोषित हैं दोनों आरोपी

अग्रवाल बंधु हत्याकांड का मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी और एमके सिंह बीते वर्ष जुलाई महीने में भगोड़ा घोषित हो चुके हैं। अब रांची पुलिस दोनों की अचल संपत्ति को नीलाम कर सकती है। नियमानुसार कुर्की के तीन महीने के बाद भी अगर आरोपी गिरफ्तार नहीं होता है या वह सरेंडर नहीं करता है तो उसकी अचल संपत्ति जो आरोपी के नाम से है, उसे पुलिस नीलाम कर सकती है। गौरतलब है कि मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी और एमके सिंह के घर और ऑफिस की रांची पुलिस कुर्की कर चुकी है।

कुर्की-जब्ती के बाद भी सरेंडर नहीं

अग्रवाल ब्रदर्स हत्याकांड में पुलिस लोकेश के दोनों बॉडीगा‌र्ड्स धमर्ेंद्र तिवारी, सुनील कुमार और ड्राइवर शंकर को गिरफ्तार कर पहले ही जेल भेज चुकी है। धमर्ेंद्र तिवारी और सुनील को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की गयी थी। पूछताछ के दौरान दोनों ने हत्याकांड को लेकर कई अहम जानकारियां पुलिस को दी। एमके सिंह और लोकेश चौधरी के गिरफ्तारी नहीं होने के बाद रांची पुलिस ने दोनों आरोपियों के घर पर इश्तेहार चिपकाकर सरेंडर करने का आदेश दिया, लेकिन दोनों ने सरेंडर नहीं किया। इसके बाद दोनों के घरों की कुर्की की गयी। इसके बावजूद दोनों ने अबतक सरेंडर नहीं किया।

तीन लोग हैं पुलिस की गिरफ्त में

अग्रवाल बंधु हत्याकांड में शामिल पांच में से तीन लोग फिलहाल जेल में हैं। हत्या के दो दिन बाद आठ मार्च को पहले पुलिस ने लोकेश चौधरी के ड्राइवर शंकर को गिरफ्तार किया था। फिर बॉडीगार्ड सुनील सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जबकि एक अन्य बॉडीगार्ड धमर्ेंद्र तिवारी ने कोर्ट में सरेंडर किया था। दोनों बॉडीगार्ड ने इस मामले में खुलासा किया था कि पैसे को लेकर दोनों भाइयों की हत्या लोकेश चौधरी व एमके सिंह ने की थी, लेकिन रकम कितनी थी, इसका खुलासा आजतक नहीं हुआ है।

राजनीतिक पहुंच का उठा रहा फायदा

जानकारी के अनुसार लोकेश चौधरी और एमके सिंह बिहार में ही कहीं छिप कर रह रहे हैं। बताया जा रहा है कि लोकेश चौधरी का बिहार के राजनीतिक गलियारे में अच्छी पकड़ होने के चलते राजनीतिक पहुंच का फायदा उठा रहा है। इस वजह से पुलिस को लोकेश चौधरी और एमके सिंह को गिरफ्तार करने में सफलता हाथ नहीं लग रही है।

पांच लोगों पर आरोप

दो सगे भाइयों हेमंत अग्रवाल और महेंद्र अग्रवाल की हत्या के मामले में अरगोड़ा थाने में पांच लोगों के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया गया है। मृतक के बड़े भाई शेखर अग्रवाल के बयान पर पुलिस ने न्यूज चैनल रांची के फ्रेंचाइजी ओनर लोकेश चौधरी उसके साथी सुनील सिंह और तिवारी को नामजद और दो अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज कराया। पुलिस ने लोकेश चौधरी के ड्राइवर शंकर को हिरासत में ले लिया है। लोकेश चौधरी के नेपाल भागने की सूचना है। पुलिस ड्राइवर से पूछताछ कर उसका लोकेशन जानने की कोशिश करती रही, लेकिन कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी। रांची और पटना एयरपोर्ट को भी अलर्ट कर दिया गया था। बिहार पुलिस को उसकी तस्वीर भी भेजी गई थी।

क्या कहती है पोस्टमार्टम रिपोर्ट

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हेमंत अग्रवाल को एक गोली मारी गई, जो आंख को छेदती हुई सिर के पीछे से निकल गई। वहीं, महेंद्र अग्रवाल को तीन गोलियां मारी गई। एक बाईं कनपटी में, दो गोलियां पेट में और एक दाहिने जांघ में लगी।

रुपए हड़पने के लिए की हत्या

लोकेश चौधरी के अंगरक्षक सुनील सिंह ने पकड़े जाने के बाद बताया था कि व्यवसायी हेमंत अग्रवाल और महेंद्र अग्रवाल की हत्या लाखों रुपये हड़पने के लिए की थी। इसके लिए अपने दोस्त व बॉडीगार्ड से आईबी की फर्जी रेड कराई। एमके सिंह और धमर्ेंद्र तिवारी ने अग्रवाल बंधुओं पर गोली चलाई थी। न्यूज चैनल कार्यालय में दोनों भाईयों की हत्या के बाद लोकेश, एमके सिंह और उनके दोनों अंगरक्षक सीसीटीवी फुटेज की डीवीआर लेकर भाग निकले थे।

हथियार भी बरामद

बीते 19 मार्च को अंगरक्षक धमर्ेंद्र तिवारी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। इससे पहले बीते 15 मार्च को सुनील कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था, वहीं 20 मार्च को चालक शंकर को पुलिस ने जेल भेजा था। दोनों अंगरक्षकों के हथियार भी बरामद कर लिए गए थे।