रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची के विभिन्न इलाकों में बने अपार्टमेंट में रहनेवाले लोगों की जिंदगी भगवान भरोसे है। इन अपार्टमेंट्स में किसी प्रकार का फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं है। इससे अपार्टमेंट्स में आग लगने की स्थिति में आम लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की जिम्मेवारी संबंधित अपार्टमेंट के बिल्डर की है। मालूम हो कि गर्मियों में आगलगी की घटनाएं अधिक होती हैं तथा गर्मी के चलते आग का फैलाव भी तेजी से होता है। गर्मियों में ठंड के मुकाबले आगलगी से अधिक मात्रा में जान-माल का नुकसान होता है। अपार्टमेंट या शॉपिंग मॉल्स में शार्ट सर्किट से आगलगी की घटनाएं रांची के लिए नई बात नहीं है। रांची के अपार्टमेंट्स और भीड़-भाड़ वाले इलाकों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा है कि नहीं इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी नगर निगम की है। इधर, लालपुर के आसपास के इलाकों में दशकों पुराने सैकड़ों अपार्टमेंट्स हैं, जिनमें फायर फाइटिंग सिस्टम का मुकम्मल इंतजाम तक नहीं है। एकाध अपार्टमेंट में फायर सिस्टम लगाया भी गया है तो सिलिंडर काफी पहले का लगा हुआ पाया गया। ऐसे में किसी कारणवश इन अपार्टमेंट्स में आगलगी की घटनाएं होती हैं तो बड़े नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता है। फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं होने से आग बुझाने में प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है।

केस-1

आशीष प्लाजा अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम का इंतजाम नहीं है। अपार्टमेंट में रहनेवाले जीतेंद्र अग्रवाल का कहना है कि बिल्डर द्वारा अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है।

केस-2

आशीष प्लाजा फेज-टू में फायर फाइटिंग सिस्टम लगा हुआ दिखा लेकिन यह सिस्टम काफी पुराना था। लालपुर चौक से आगे सरकुलर रोड स्थित इस अपार्टमेंट में सुरक्षा गार्ड भी नदारद था।

केस-3

श्रीपर्णा अपार्टमेंट में भी किसी प्रकार का फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं था। इस अपार्टमेंट में गार्ड रूम तो नजर आया लेकिन गार्ड वहां मौजूद नहीं था। इससे अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों की सुरक्षा का अंदाजा लगाया जा सकता है।

केस-4

नवनिर्मित पूर्णिमा अपार्टमेंट में भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं था। वहां मौजूद गार्ड ने बताया कि फिलहाल कई फ्लैट्स खाली हैं, जबकि कई में परिवार रहते हैं, लेकिन फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगाया गया है।

केस-5

मंगलम अपार्टमेंट में भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं दिखा। वहीं, सुरक्षा गार्ड भी नहीं था। अपार्टमेंट में रहने वाले लोग अपनी सुरक्षा को लेकर उतने जागरूक भी नजर नहीं है।

केस-6

चडरी के पास पुलिस एसोसिएशन की ओर से बनाये गये अपार्टमेंट्स के सभी फ्लैट्स के किचेन में छोटे-छोटे सिलिंडर लगे हुये हैं, जो वर्ष लगभग सात साल पुराने हैं। पुलिस एसोसिएशन की ओर से बनाये गये इन अपार्टमेंट्स के हरेक विंग्स में 32 फ्लैट्स हैं।

केस-7

लालपुर के श्याम कुंज अपार्टमेंट में भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं था। अपार्टमेंट में रहनेवाले सीएल चांडक ने बताया कि बिल्डर ने फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगाया है। उन्होंने बताया कि आसपास के इलाकों के अधिकतर पुराने अपार्टमेंट में फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा है। उन्होंने बताया कि बिल्डर अब नए बने अपार्टमेंट में फायर सिस्टम लगा रहे हैं।

अपार्टमेंट से गार्ड भी नदारद, हादसे की बनी है आशंका

इन अपार्टमेंट में सुरक्षा गार्ड भी नदारद हैं। इससे कभी भी अपार्टमेंट्स में चोरी या अन्य किसी प्रकार की आपराधिक घटनाओं के होने की आशंका बनी हुई है। एकाध अपार्टमेंट में सुरक्षा गार्ड पाए गए लेकिन वे अपने कमरे में आराम-फरमा रहे थे। इन अपार्टमेंट्स के बिल्डर सुरक्षा गार्ड के नाम पर महज खानापूर्ति करते हैं और संबंधित एजेंसियां गार्ड रखती हैं जो उम्रदराज होते हैं। अधिक उम्र वाले सुरक्षा गार्ड किसी प्रकार की अप्रिय घटना होने पर तत्परता के साथ सु रक्षा से संबंधित एजेंसियों और प्रशासन को सूचना नहीं कर सकते हैं, जितनी जल्दी युवा सुरक्षा गार्ड कर सकता है।