रांची (ब्यूरो)। झारखंड में लोग ऑर्गन डोनेट नहीं कर रहे हैं। दो साल में सिर्फ तीन लोगों ने अपना ऑर्गन डोनेट किया है। जब लोग ऑर्गन डोनेट ही नहीं कर रहे हैं तो जरूरत पडऩे पर कहां से दिया जाएगा। अंग प्रत्यारोपण की मुहिम में झारखंड फिसड्डी है। देह दान कोई नहीं कर रहा हैै। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (केंद्र सरकार) के आंकड़े इसकी गवाही देते हैं। केंद्र द्वारा स्थापित नोटो (राष्ट्रीय अंग और ऊत्तक प्रत्यारोपण संगठन) के मुताबिक झारखंड में पिछले दो सालों में महज 3 लोगों ने ही अंग दान किया है। 2020 में केवल एक और 2021 में सिर्फ दो। हालांकि, 2019 में 61 लोगों ने इसके जरिए पुण्य कमाया है। तीन सालों में कुल जमा 64 नागरिकों ने ऑर्गन डोनेट किये। देश के दूसरे रा'यों की तुलना में ये आंकड़े बहुत ही कम हैं।

सबसे अधिक दिल्ली में डोनेशन

दिल्ली में पिछले तीन सालों में (2019 से 2021) में 4950 लोगों ने अंग दान किया। इसी अवधि में तमिलनाडु में 4156, महाराष्ट्र में 3380, केरल में 2479, तेलंगाना में 2329, हरियाणा में 2091, गुजरात में 1962, पश्चिम बंगाल में 1957, यूपी में 1441, कर्नाटक में 1265, राजस्थान में 767, मध्य प्रदेश में 298 लोगों ने ऑर्गन डोनेट किये। बिहार में 59, गोवा, मणिपुर में 17-17, हिमाचल प्रदेश में 5, जम्मू और कश्मीर में 53 लोग इसमें शामिल हैं।

अंग दान को बढ़ावा देने का प्रयास

केंद्र सरकार ने अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने को अनेक उपाय किये हैं। इसके लिए केंद्र की ओर से राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (एनओटीपी) का कार्यान्वयन हो रहा है। इसके तहत देश में अंग अधिप्राप्ति और वितरण की एक व्यवस्थित प्रणाली उपलब्ध कराने को एक तीन स्तरीय ढांचे का गठन किया गया है। इसमें नई दिल्ली स्थित एक शीर्ष स्तर का राष्ट्रीय अंग एवं ऊत्तक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीटओ), चंडीगढ़, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता एवं गुवाहाटी स्थित पांच रिजनल अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (आरओटीटीओ) शामिल हैं।

देश का 12वां आर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर रांची में

रिम्स में आर्गन डोनेशन को गंभीरता से लिया है। रिम्स में किडनी ट्रांसप्लांट, लीवर, पैनक्रियाज व अन्य आर्गन के ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने की तैयारी है। रिम्स का ऑर्गन ट्रांसप्लांट सेंटर देश का 12वां सेंटर है, जहां लोग आनलाइन आवेदन कर सकते हैैं। इच्छुक लोग रिम्स की वेबसाइट पर जाकर ऑर्गन डोनेशन के लिए आवेदन भी कर रहे हैं। इसके लिए सरकार से अनुमति रिम्स को मिल चुकी है।

किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया जारी

रिम्स में नेफ्रोलॉजी विभाग बनने के बाद वहां पर डॉक्टर व स्टाफ की बहाली की जा रही है। बहाली के बाद किडनी ट्रांसप्लांट की सुविधा मरीजों को मिलने लगेगी। वर्तमान में कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल्स में किडनी ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। बताते चलें कि पीपीपी मोड पर डायलिसिस सेंटर के संचालन की भी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके बाद किडनी ट्रांसप्लांट का रास्ता साफ हो जाएगा। वहीं मरीजों को इसके लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। सरकारी दर पर ही उनका इलाज हो सकेगा।

अंगदान को लेकर किया जा रहा अवेयर

स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाईजेशन (सोटो) की ओर से लोगों को आर्गन डोनेशन के प्रति जागरूक किया जा रहा है। कुछ दिन पहले रिम्स की टीम ने कैंपस में ही सभी को डोनेशन के लिए आगे आने की अपील की थी, ताकि किसी जरूरतमंद को जीवनदान दिया जा सके। हालांकि, देश में भी आर्गन डोनेशन की स्थिति अ'छी नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक, देश में प्रति मिलियन जनसंख्या पर केवल 0.65 परसेंट ही आर्गन डोनेट किए जाते हैं। जबकि इसकी तुलना में स्पेन में 35 और अमेरिका में 26 परसेंट तक आर्गन डोनेट किए जा रहे हैं।

मां की बॉडी कर दी रिसर्च के लिए दान

रिम्स सुपरिटेंडेंट डॉ विवेक कश्यप ने अपनी मां भानु गुप्ता की मौत के बाद उनका शरीर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए रिम्स को दान कर दिया। डॉ कश्यप ने कहा था कि उनके पिताजी स्वर्गीय डॉ बीएन गुप्ता की भी इ'छा थी कि उनकी बॉडी डोनेट कर दी जाए। उन्होंने कहा था कि मेरी मौत के बाद मेरा शरीर मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के लिए दान कर देना। मृत शरीर को जला देने से उसका कोई उपयोग नहीं हो पाता है।