रांची (ब्यूरो)। अगर आप भी ऑटो की सवारी करते हैं तो अब थोड़ा संभल कर इसमें सवारी करने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो जिसे आप ऑटो ड्राइवर समझ कर गाड़ी में बैठ रहे हैं वह लुटेरा हो। जी हां, राजधानी रांची में इन दिनों ऑटो चालक की शक्ल में लुटेरे घूम रहे हैं। यह बात हम हवा में नहीं कह रहे हैं, बल्कि हाल के दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें ऑटो चालक ने अपने ही सवारी के साथ लूट को अंजाम दिया है। तीन ऑटो चालक पुलिस की गिरफ्त में भी आए हैं, जिन्होंने पैसेंजर को सुनसान जगह ले जाकर उनके पैसे लूट लिये। गिरफ्तार ऑटो चालकों ने अपना जुर्म कबूल भी कर लिया है। ये ऑटो चालक पहले पैसेंजर को गाड़ी में बिठाते हैं, फिर किसी सुनसान जगह ले जाकर लूटपाट करते हैं।

बाहरी यात्री बन रहे शिकार

ऑटो ड्राइवर की शक्ल में ये लुटेरे दूसरे राज्य या दूसरे जिले से आने वाले लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। लुटेरों का यह गिरोह रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड के आसपास घूमता रहता है। कांके थाना क्षेत्र में पिछले दिनों एक मामला सामने आया था, जिसमें एक व्यक्ति से मारपीट कर लूटपाट को अंजाम दिया गया था। जानकारी मिलने के बाद रांची पुलिस एक्टिव हुई और एक टीम बनाकर मामले के अनुसंधान में जुट गई। पुलिस ने इस केस में पंडरा इलाके से आरोपियों को धर दबोचा। पीडि़त व्यक्ति धनबाद से रांची आया था। आईटीआई बस स्टैंड जाने के लिए उन्होंने ऑटो लिया, जिसके बाद ऑटो ड्राइवर उन्हें लेकर रातू रोड न्यू मार्केट पहुंचा जहां उसने अपने दो साथियों को ऑटो में बिठाया फिर सुनसान जगह ले जाकर मारपीट कर पीडि़त से 50 हजार रुपए, लैपटॉप, मोबाइल और कपड़े से भरा बैग लूटकर फरार हो गए।

ताक पर सारे नियम

वैसे तो राजधानी में ऑटो चालकों के लिए कई नियम बनाए गए हैं लेकिन ये लोग किसी भी नियम का पालन नहीं करते हैं। ऑटो ड्राइवर्स के लिए यूनिफार्म कोड भी लागू किया गया है। यूनिफार्म पहन कर ही उन्हें गाड़ी चलानी है। लेकिन इक्के-दुक्के लोग ही ऐसा करते हुए नजर आते हैं। इसके अलावा किसी भी ऑटो ड्राइवर को आइडेंटिटी नहीं दिया गया है। जिस वजह से उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाती है। प्रत्येक ऑटो ड्राइवर का अपना अलग आइडेंटिटी होना जरूरी है। हालांकि ऑटो ड्राइवर के लिए परमिट लेना अनिवार्य है। लेकिन सिर्फ तीन हजार ऑटो चालकों के पास ही परमिट है। जबकि सिटी में दस हजार से भी अधिक ऑटो दौड़ रहे हैं। इसके अलावा वाहन में कितने पैंसेजर बिठाना है, किस रूट पर ऑटो चलाना है, भाड़ा कितना लेना है समेत कई नियम बनाए गए हैं। लेकिन, ड्राइवरों द्वारा एक भी नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।

कार्रवाई भी नहीं होती

ऑटो चालकों की मनमानी करने की सबसे बड़ी वजह है, उनपर किसी तरह के कार्रवाई का न होना। सिटी की सभी सड़कों पर ऑटो चालक मनमानी करते नजर आते हैं। बेतरतीब तरीके से ऑटो चलाने के साथ-साथ पैसेंजर के साथ बदतमीजी और दूसरे शिकायतें भी आए दिन आती रहती हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन ऑटो चालकों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं होती। न तो पुलिस विभाग न ट्रैफिक और न ही ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की ओर से कोई एक्शन लिया जा रहा है। हालांकि, ऑटो यूनियन को बीते साल सभी ऑटो चालकों का आई कार्ड जारी करने को कहा गया है। न इस आदेश का पालन हुआ है और न ही विभाग की ओर किसी तरह की जांच की गई। नतीजा यह है कि आज कोई भी गुंडा, बदमाश, लुटेरा ऑटो लेकर सड़क पर निकल जाता है, और पैसेंजर से लूटपाट करता है।

केस 1

रातू रोड चौराहे से एक व्यक्ति ने आईटीआई बस स्टैंड जाने के लिए ऑटो लिया। इसमें उस वक्त ड्राइवर के अलावा कोई नहीं था। लेकिन न्यू मार्केट चौक पर ड्राइवर ने दो और लोगों को गाड़ी पर बिठा लिया, जिसके बाद सुनसान जगह ले जाकर सवारी के साथ मारपीट की और उनका पैसा और सामान लेकर भाग गए।

केस 2

नशे की हालत में एक ऑटो चालक ने पैसेंजर के साथ बदतमीजी की। गाली-गलौज कर बीच सड़क पर ही उतार दिया। इतना ही नहीं, ऑटो चालक नशे में इतना ज्यादा धुत था की रातू फन कैसल पार्क के पास डिवाइर पर जोरदार टक्कर मार दी। सभी सवारी नीचे गिर गए, जिससे उन्हें चोट भी आई।

केस 3

रेलवे स्टेशन से बाहर आया एक युवक धुर्वा जाने के लिए ऑटो किराये पर लिया। कुछ दूर ले जाकर ऑटो चालक और पैसेंजर के बीच बकझक शुरू हो गई। ऑटो चालक और उसके साथियों ने पैंसेजर के साथ मारपीट की और उसके पैसे और मोबाइल फोन लूट लिये।

अभियान चलाकर अवैध ऑटो चालकों पर कार्रवाई की जा रही है। सभी ऑटो चालकों को यूनिफार्म अनिवार्य रूप से पहनने के आदेश दिए गए हैं। इसकी जांच की जाएगी।

-प्रवीण कुमार प्रकाश, डीटीओ, रांची