रांची (ब्यूरो)। एक महीने पहले तक रांची के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में डेंगू मरीज काफी संख्या में पहुुंच रहे थे। अधिकतर के प्लेटलेट्स कम हो रहे थे, लेकिन अब डेंगू के मरीजों की यह परेशानी खत्म होने वाली है। जी हां, रांची के सदर अस्पताल में एसडीपी के लिए एफेरेसिस मशीन लगाई गई है। एक साल से 30 लाख की यह मशीन खरीद कर रखी गई थी, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पा रहा था, अब यह शुरू हो गया है।

8 की जगह सिर्फ 1 डोनर

अब डेंगू के मरीजों के लिए प्लेटलेट्स का इंतजाम करने में मरीज के परिजनों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। अभी उन्हें एक मरीज के लिए जरूरी 40 से 50 हजार प्लेटलेट्स के लिए कम से कम आठ डोनर्स की जरूरत पड़ती है, मगर अब सिर्फ एक डोनर से ही काम चल जाएगा। इस मशीन की मदद से डोनर के ब्लड में से प्लेटलेट्स निकालकर बाकी ब्लड के सभी कंपोनेंट वापस डोनर को ही चढ़ा दिए जाते हैं। ऐसे में डेंगू मरीजों को समय पर प्लेटलेट्स उपलब्ध हो जाएंगे और उनकी जान बचाई जा सकेगी।

क्या होती थी परेशानी

डेंगू बीमारी तेजी से फैलने पर रोग ग्रस्त लोगों की प्लेटलेट्स घटकर 15 हजार से कम पहुंच जाती है। इससे अधिक प्लेटलेट्स वाले लोगों को आरडीपी या रेंडम डोनर प्लेटलेट्स आसानी से उपलब्ध हो रही थी मगर एसडीपी के लिए धक्क खाने पड़ रहे थे। डेंगू बीमारी जब चरम पर थी, तब 30 से अधिक एसडीपी की डिमांड रोज थी।

क्या है एफेरेसिस मशीन

प्लेटलेट्स एफेरेसिस मशीन एडवांस तकनीक पर काम करती है। इसकी मदद से ब्लड में से प्लेटलेट्स को अलग किया जाता है। इसमें डोनर का ब्लड निकालते हुए उसमें से प्लेटलेट्स को अलग कर लिया जाता है और मशीन द्वारा ब्लड को वापस बॉडी में भेज दिया जाता है। प्लेटलेट्स एफेरेसिस सिंगल डोनर प्लेटलेट्स लेने से मरीज का प्लेटलेट्स रैंडम डोनर प्लेटलेट्स से बहुत च्यादा बढ़ जाता है। रैंडम डोनर प्लेटलेट्स से तीन से पांच हजार प्लेटलेट्स बढ़ता है, जबकि सिंगल डोनर प्लेटलेट्स से 30 हजार से 1.5 लाख तक प्लेटलेट्स बढ़ जाता है। प्लेटलेट्स की जरूरत किडनी, कैंसर, डेंगू व वायरल बीमारियों में सबसे च्यादा पड़ती है।

क्या है सिंगल डोनर प्लेटलेट

सिंगल डोनर प्लेटलेट्स एक ऐसी विधि है, जिससे एक ही डोनर से मरीज की जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकाले जाते हैं। यह जिले की दूसरी एफेरेसिस मशीन है, एक मशीन रिम्स में पहले से है, लेकिन डिमांड को रिम्स पूरा नहीं कर पा रहा है। प्लेटलेट्स एसडीपी विधि से अब एक ही डोनर से मरीज की जरूरत के अनुसार प्लेटलेट्स निकालना संभव होगा। एसडीपी के जरिए एक घंटे में प्लेटलेट्स निकलता है। डोनर के शरीर से ब्लड निकालकर मशीन में ले जाया जाता है। वहां से प्लेटलेट्स अलग होकर बाकी ब्लड और ब्लड कंपोनेंट दोबारा डोनर के शरीर में पहुंचा दिया जाता है।

प्लेटलेट्स की जरूरत क्यों

किसी भी मरीज को किसी भी कारण से विशेष कर डेंगू या फिर अन्य वायरल इन्फेक्शन, आईटीपी से अगर प्लेटलेट बहुत कम हो जाए तो सिंगल डोनर प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ती है। खास बात यह भी है कि प्लेटलेट्स देने वाला व्यक्ति 72 घंटे बाद दोबारा प्लेटलेट्स दे सकता है। इस विधि से प्लेटलेट्स चढ़ाने से मरीज में 40 से 50 हजार तक प्लेटलेट्स बढ़ते हैं।