रांची (ब्यूरो)। झारखंड सरकार का यह कदम वाकई में नकली शराब तस्करों से लोगों को आजादी दिलाएगा। उत्पाद विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नई उत्पाद नीति के तहत राज्य में देसी और विदेशी शराब की तस्करी और चोरी रोकने के लिए सरकार द्वारा शराब की हर बोतल को ट्रैक किया जाएगा। इसके लिए प्रत्येक बोतल पर जीपीएस सिस्टम से युक्त होलोग्राम और क्यूआर कोड लगाया जाएगा, जिससे कोई भी ग्राहक अपने मोबाइल से स्कैन कर पता कर सकता है कि इसकी मैन्युफैक्चरिंग डेट, मूल्य और डिस्ट्रीब्यूशन कहां से हुआ है। आम तौर पर ग्राहकों की शिकायत रहती थी कि रेट चार्ट नहीं होने से लोगों को निर्धारित मूल्य से अधिक देना पड़ता है।

ऐसे होगी बोतलों की ट्रैकिंग

उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के अनुसार, शराब की बोतलों और केन पर सिक्योरिटी होलोग्राम लगाने का काम एक निजी कंपनी को दिया गया है, जिससे पता चल जाएगा कि इसका उत्पादन किस कंपनी ने किया है और सप्लाई और बिक्री कहां से हुई है। इससे नकली शराब की बिक्री और सप्लाई पर रोक लग जाएगी। विभाग ने यह कदम बड़े पैमाने पर सीमावर्ती राज्यों में झारखंड से शराब की सप्लाई होने की खबर के बाद उठाया है।

राजस्व भी बढ़ेगा

शराब ही ऐसा सेक्टर है जहां से राज्य सरकार को भारी भरकम राशि हर वर्ष राजस्व के रूप में प्राप्त होती है। इस नई व्यवस्था के शुरू होने से राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी। झारखंड में शराब पर 75 परसेंट टैक्स है जो सरकार के खाते में जमा होता है। इस तरह से सरकार को भी हर वर्ष अच्छी खासी कमाई टैक्स के रूप में होती रही है। अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना लॉकडाउन के बावजूद 2020-21 में उत्पाद विभाग ने शराब बेचकर करीब 1800 करोड़ की कमाई हुई थी। ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि नई उत्पाद नीति से जहां राजस्व 3000 करोड़ तक आएगा, वहीं शराब की अवैध बिक्री और वितरण पर भी रोक लगेगी।

होटल-ढाबों में भी नकली शराब नहीं

इस नई व्यवस्था से दुकानों तक पहुंचने वाली शराब और बीयर अवैध तरीके से ढाबों-होटलों तक नहीं पहुंच पाएगी। निजी कंपनी प्रत्येक बोतल पर सिक्योरिटी होलोग्राम लगाएगी, इस तरह अगर कहीं किसी ढाबे, होटल या किसी भी अन्य जगह से शराब की बरामदगी होती है तो होलोग्राम के जरिए यह जाना जा सकेगा कि उस बोतल या केन का उत्पादन कहां से हुआ है। वितरण किसके द्वारा की जानी थी व बिक्री किसे की गई थी।