रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची के म्यूनिसिपल एरिया में अगर घर या जमीन खरीदने की सोच रहे हैं तो अब आप ठगे नहीं जाएंगे, क्योंकि आपको जमीन या घर के कागजात पहले से ही पता चल जाएंगे। जमीन किस नेचर की है, कितनी जमीन है, घर है या नहीं सहित तमाम जानकारियां आपको एक क्लिक पर मिल जाएंगी। रांची नगर निगम द्वारा अपने सभी 53 वार्ड क्षेत्रों में जितनी भी म्यूनिसिपल सर्वे की जमीन है, उसका डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। सभी जमीन के खतियान की स्कैनिंग करके उन्हें सुरक्षित रखा जाएगा, ताकि लोग आसानी से देख सकें।

ई रिकार्ड रूम बनेगा

रांची नगर निगम द्वारा 94 वर्ष पहले म्यूनिसिपल सर्वे(एमएस) कराया गया था। अब निगम इस जमीन के सारे रिकॉर्ड ऑनलाइन करेगा, एमएस सर्वे वर्ष 1929 में हुआ था। डिजिटल मोड पर जमीन के रिकॉर्ड होने से लोगों को एमएस सर्वे का खतियान एक क्लिक पर मिलेगा। नगर निगम ने ई-रिकॉर्ड रूम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत म्यूनिसिपल सर्वे के बाद बने खतियान की स्कैनिंग की जाएगी और उसे डिजिटलाइज्ड किया जाएगा।

एजेंसी का हो रहा चयन

जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटल करने और उसकी स्कैनिंग के लिए सर्विस प्रोवाइडर की तलाश की जा रही है। निगम ने इसके लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगा है। इसमें सफल होने वाली कंपनियों की फाइनेंशियल बिड खुलेगी। इसके बाद चयनित कंपनी म्यूनिसिपल सर्वे की सभी जमीन के रिकॉर्ड को डिजिटलाइज्ड करेगी।

लोगों को होगी बड़ी राहत

मालूम हो कि वर्तमान में खतियान लेने के लिए लोगों को 10 से एक महीने तक का इंतजार करना पड़ता है। इसके लिए बाबुओं की चिरौरी करने के साथ अलग से पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं। अभी इसकी जानकारी लेने के लिए पहले आवेदन देना होता है। उसके बाद कार्यालय का चक्कर लगाते रहिए। इसके बाद लोगों को कागजात मिल पाते हैं। जमीन के रिकॉर्ड ऑनलाइन होने से लोगों को बड़ी राहत होगी।

नहीं मिल रहे जमीन के खतियान

म्यूनिसिपल सर्वे से बने खतियान की स्थिति वर्तमान में काफ खराब है। जिस कागज पर खतियान बनाया गया था, वह अब गलने लगा है। छूने से खतियान टुकड़ों में बंट जाता है। कई क्षेत्र की जमीन के खतियान रिकार्ड रूम से गायब हैं। निगम के रिकॉर्ड रूम में तैनात कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से कई क्षेत्र की जमीन के खतियान में हेरफेर की गई है। राजधानी बनने के बाद से रांची में जमीन की हेराफेरी खूब हो रही है। गलत कागजात तैयार करके जमीन बेची जा रही है। अब डिजिटल होने से ऐसी जमीन में हेरफेर नहीं हो सकेगा।

1932 का खतियान सहारा

बहुत सारे लोग हैं जो इस जमीन के कागजात निकालने के लिए परेशान रहते हैं। निगम के कार्यालय का चक्कर भी काटते रहते हैं। इसके बाद भी उनको सही कागजात नहीं मिल पाता है। महीनो इंतजार करने के बाद लोगों को कहा जाता है कि कागजात उपलब्ध नही है, इस वजह से आवेदन करने के बाद भी लोगों को खतियान नहीं मिलता। ऐसे में लोगों को 1932 में हुए आरएस खतियान से काम चलाना पड़ता है।

बिना खतियान नक्शा पास नहीं

आरएस प्लॉट से संबंधित जमीन की जानकारी लोगों को जरूरी है। किसी की प्रॉपर्टी खरीदनी हो या कोर्ट में या घर का नक्शा पास कराने में खतियान की प्रति मांगी जाती है। प्रति नहीं मिलने पर लोगों को काफी परेशानी होती है। रांची नगर निगम द्वारा घर का नक्शा पास कराने के लिए खतियान जरूरी है, इसके बिना नक्शा पास नहीं किया जाता है। बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिनके पास जमीन है लेकिन खतियान उनको नहीं मिल पाता है क्योंकि निगम के कार्यालय से या तो गायब हो चुका है या सड़ गल गया है। ऐसे में सभी कागजात रहने के बाद भी उनका नक्शा पास नहीं हो पाता है क्योंकि उनके पास आरएस खतियान उपलब्ध नहीं है।

9 दशक बाद भी सर्वे नहीं

1929 के सर्वे के बाद नगर निगम क्षेत्र का नक्शा बदल गया और जमीन का नेचर भी। समय के साथ शहर का फैलाव हो गया। इसके बावजूद इतने वर्षों में नए सिरे से जमीन का सर्वे नहीं हुआ, जबकि हर 10 वर्ष के अंतराल पर जमीन का सर्वे करने का प्रावधान है, ताकि जमीन पर जो भी नए लोग बसे हैं, उनके नाम पर जमीन का रिकॉर्ड बनाया जा सके। ऐसी ही स्थिति 1932 में हुए रिविजन सर्वे (आरएस) के बाद तैयार जमीन के खतियान की है।

ऑनलाइन डॉक्यूमेंट्स क्यों हैं जरूरी

-आरएस प्लॉट को ऑनलाइन होना इसलिए जरूरी है, क्योंकि जब लोग कोई प्रॉपर्टी नगर निगम क्षेत्र में खरीदते हैं तो उनको कागजात की सही जानकारी नही रहती है।

-रांची नगर निगम क्षेत्र में काफी संख्या में दलाल हैं, जो लोगों को गलत कागजात दिखाकर जमीन या घर बेच देते हैं। बाद में पता चलता है कि वो ठग लिये गए।

-93 साल पहले म्यूनिसिपल सर्वे किया गया है, उसके बाद सरकार की ओर से ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा बहुत सारे डॉक्यूमेंट््स खराब हो गए