स्लग: रिम्स पारा मेडिकल स्टूडेंट्स ने घेरा डायरेक्टर ऑफिस, सौंपा ज्ञापन

-कालेज के बाहर स्टूडेंट्स की पढ़ाई का कोई वैल्यू नहीं, फिर कैसे मिलेगा जॉब

-लोक लेखा समिति के मेंबर्स ने भी उठाए थे सवाल

-स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड भी नहीं मिल रहा

-एक्टिंग डायरेक्टर ने सोमवार को वार्ता के लिए बुलाया है स्टूडेंट्स को

RANCHI (22 July): कालेज को किसी संस्थान से एफिलिएशन नहीं मिला है। कालेज के बाहर स्टूडेंट्स की पढ़ाई का कोई वैल्यू भी नहीं है। फिर क्यों हजारों स्टूडेंट्स के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। इन्हीं सवालों के साथ रिम्स के पारा मेडिकल स्टूडेंट्स ने शनिवार को डायरेक्टर आफिस का घेराव कर दिया। साथ ही डायरेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। दरअसल, गुरुवार को इंस्पेक्शन में आई लोक लेखा समिति ने इस मामले में रिम्स प्रबंधन पर सवाल उठाए थे। कहा गया था कि एफिलिएशन ही नहीं है तो इतने स्टूडेंट्स का एडमिशन क्यों ले लिया। मामले में एक्टिंग डायरेक्टर डॉ। आरके श्रीवास्तव ने सोमवार को स्टूडेंट्स को वार्ता के लिए बुलाया है।

हैंडओवर नहीं हुई बिल्डिंग

स्टूडेंट्स ने बताया कि पारा मेडिकल कालेज की बिल्डिंग बनकर कई महीनों से तैयार है। लेकिन अब तक हैंड ओवर नहीं की गई है। जबकि कैंपस में एडमिनिस्ट्रेटिव बिल्डिंग और हास्टल का काम भी काफी तेजी से चल रहा है। आखिर पारा मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ प्रबंधन भेदभाव क्यों कर रहा है।

मिनिस्टर ने भी दिया था आश्वासन

बीते दिनों स्टूडेंट्स का प्रतिनिधिमंडल हेल्थ मिनिस्टर रामचंद्र चंद्रवंशी से भी मिला था। उन्हें अपनी समस्याओं से अवगत कराया था। उस समय मंत्री ने तत्काल डायरेक्टर को इसके लिए एक सेल बनाने और स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड का भुगतान करवाने का भी आदेश दिया था। लेकिन आजतक स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड देने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई। बताते चलें कि पूर्व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने पारा मेडिकल स्टूडेंट्स को हर महीने क्भ्00 रुपए स्टाइपेंड के रूप में देने की घोषणा की थी।

स्टूडेंट्स कर रहे मांग

-कहां से मिली है कालेज की मान्यता

-मंथली स्टाइपेंड

-पारा मेडिकल कालेज

-पारा मेडिकल हास्टल

क्या कहते हैं स्टूडेंट्स

पहले भी स्टूडेंट्स यहां से पास आउट हो चुके है। अब एफिलिएशन नहीं होने के कारण हमारी पढ़ाई की कोई वैल्यू ही नहीं रहेगी। लोक लेखा समिति ने भी इस पर सवाल उठाया है। डायरेक्टर से हमारा सवाल यह है कि इस बात में कितनी सच्चाई है। अगर यह सच है तो हमारे भविष्य के साथ खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है।

दिलीप मुर्मू

आजतक हमलोगों को न तो कालेज मिला है और न ही हास्टल। कालेज बनकर सालों से तैयार है इसके बावजूद चालू कराने में प्रबंधन फेल साबित हो रहा है। आखिर पारा मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ ही भेदभाव क्यों किया जाता है। अब तो हमारी मान्यता को लेकर भी सवाल उठ रहे है। आखिर किस पर भरोसा करें।

राकेश रंजन

एक तो कालेज की मान्यता को लेकर सवाल उठ रहे है। और पहले से भी कई बैच के लोग पास हो चुके है। हमलोग तबतक काम नहीं करेंगे जबतक यह क्लियर नहीं होगा कि हमारे कालेज को किस यूनिवर्सिटी से मान्यता मिली है। क्भ्00 रुपए स्टाइपेंड हर महीने देने की स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र सिंह ने घोषणा की थी। लेकिन आजतक हमें एक रुपए भी नहीं मिला है।

काजल कुमारी

हमलोगों को डायरेक्टर से यह जानना है कि यहां इतने स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। फिर एफिलिएशन क्यों नहीं लिया गया। आखिर हमलोगों का भविष्य क्या होगा। यहां से निकलने के बाद हमें काम भी मिलेगा या सर्टिफिकेट कागज का टुकड़ा बनकर रह जाएगा। स्टाइपेंड मिलता तो हमलोग अपना कुछ खर्च चला लेते।

रिया गोस्वामी