- आम लोगों की कट रही है जेब

- सेहत पर भी पड़ रहा है असर

- समय की बर्बादी भी बना सिरदर्द

nadeem.akhtar@inext.co.in

RANCHI (26 July) : अवैध रूप से गाडि़यों की पार्किग के कारण जाम लगने का भारी खामियाजा सिटी के आम लोग भुगत रहे हैं। मुट्ठी भर लोगों की हठधर्मी का शिकार हर दिन हजारों लोग हो रहे हैं। रांची का 'दिल' कहे जाने वाले मेन रोड में तो अवैध पार्किग का नजारा मिलता ही है, लिंक रोड पर भी लोगों की नासमझी मुसीबत खड़ी कर रही है। सबसे अहम यह है कि पार्किग के इस 'अनपढ़ मॉडल' को सुधारने के लिए न तो पुलिस कोई कदम उठाती है और न ही समाज के प्रबुद्ध लोग ही आगे आ रही हैं। नतीजा यह है कि लोगों का वक्त, पैसा और सेहत बर्बाद हो रहा है।

40 फीसदी बढ़ गये अस्थमा के मरीज

सिटी में जाम की समस्या से लोगों का आर्थिक और मानसिक दोहन तो ही रहा है, साथ ही साथ उनके स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। हर रोज शहर में दौड़ती करीब एक लाख गाडि़यों के धुएं से इतना कार्बन उत्सर्जन हो रहा है कि अब लोग सांस की बीमारी के शिकार होने लगे हैं। हर हॉस्पिटल व डॉक्टरों की क्लिनिक में मरीजों की लंबी कतार लगी है, जिन्हें सांस लेने की समस्या आ रही है। बच्चों में भी अस्थमा की समस्या तिगुनी बढ़ी है।

साल भर में आया बड़ा बदलाव

रांची शहर में सांस के मरीजों की संख्या के मामले में एक साल के भीतर बड़ा बदलाव आया है। विभिन्न हॉस्पिटल्स से जो आंकड़े मिले हैं, उनमें औसतन चालीस फीसदी मरीज फेफड़े से जुड़ी बीमारियों के ही इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। साल भर पहले तक यह आंकड़ा 20 फीसदी के आसपास था। अकेले रिम्स में आउटडोर मरीजों का आंकड़ा 150 के पार होता है। इसमें 60 से भी ज्यादा मरीज सांस लेने में परेशानी, खांसी और दमा की शिकायत के साथ आते हैं।

रोज बर्बाद हो रहा है 50 हजार लीटर तेल

जाम की समस्या लोगों का समय तो बर्बाद कर ही रही है, साथ ही साथ ईंधन की भी बर्बादी बढ़ गयी है। शहर में हर रोज औसतन एक लाख वाहन सड़कों पर चलते हैं। प्रत्येक वाहन का अतिरिक्त ईंधन खपत एक लीटर के आसपास है। सिटी के विभिन्न ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार हर रोज सिर्फ जाम के कारण रांची में 50 हजार लीटर अतिरिक्त ईंधन जल रहा है।

हर रोज एक घंटे समय की बर्बादी

जाम और नयी यातायात व्यवस्था के बाद शहर में चार पहिया वाहनों की औसतन एक घंटे समय की बर्बादी हो रही है। हालांकि, दो पहिया वाहनों के मामले में यह समय आधा है यानी एक बार 5 किलोमीटर की यात्रा में आधे घंटे का अतिरिक्त समय लग रहा है। जाम के मकड़जाल में फंसे लोगों को आर्थिक नुकसान के साथ मानसिक यातना तो झेलनी पड़ ही रही है, कई बार जरूरी काम भी समय पर नहीं हो पा रहा है।

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एक्सपर्ट कमेंट

सिटी में पुरानी गाडि़यों की भरमार है, जिससे उठने वाला धुआं लोगों को बीमार कर रहा है। जाम में फंसे वाहनों से उठता धुआं देर तक लोगों के फेफड़े में जाता है, जिससे वे बीमार पड़ते हैं। सिटी में दमा के मरीज बढ़े हैं। बाहर निकलते वक्त लोग मास्क लगाएं।

डॉ बिंदे कुमार, डिपार्टमेंट ऑफ मेिडसीन, रिम्स

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सड़क जाम के कारण धुएं के उत्सर्जन का औसत बढ़ा है। इस वजह से पिछले एक साल के भीतर कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा 20 फीसदी बढ़ी है। कुछ खास इलाकों में तो यह वृद्धि और ज्यादा दर्ज की जा रही है।

डॉ नितीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद

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क्या कहते हैं सिटी के लोग

अब तो गाड़ी लेकर अपर बाजार से गुजरने में डर लगने लगा है। पूरे अपर बाजार में अवैध पार्किग के कारण जाम लगा रहता है। कोई देखने वाला नहीं है। प्रशासन चुप क्यों है?

डॉ मो जाकिर

गली-मोहल्लों में जाम लगने का नजारा हाल के दिनों में ज्यादा आम हुआ रहा है। चूंकि, जगह ही नहीं, इसलिए लोग यहां-वहां गाडि़यां खड़ी कर रहे हैं। इस पर रोक लगनी चाहिए।

ज्योति शर्मा

शहर में मूव करना बहुत मुश्किल हो गया है। पहले औसतन आधे घंटे में दफ्तर पहुंच जाती थी। अब पूरा एक घंटा 10 मिनट का समय लगता है। इसका समाधान तुरंत निकलना चाहिए।

श्वेता सिंह