पर्यावरण मेला में केंद्रीय मंत्री ने पेड़ लगाने पर दिया जोर
RANCHI : 1920 में जब अंग्रेज नई दिल्ली बसा रहे थे, तो उन्होंने पीपल, बरगद, नीम और जामुन के पेड़ लगाये। आज हम अपनी सड़कों के किनारे यूकेलिप्टस जैसे पेड़ लगा रहे हैं। अंग्रजों को हमारा परंपरागत ज्ञान याद रहा पर हम भूल गए हैं। पीपल, बरगद जैसे पेड़ प्रकृति से पानी लेकर धरती में पहुंचाते थे, जबकि यूकेलिप्टस धरती से पानी लेकर हवा में उड़ा देता है। आजादी के बाद हमारी सोच में यह कमजोरी आ गई कि पर्यावरण की चिंता करने वालों को पुरातनपंथी करार दे दिया गया।

आवश्यकता के अनुसार बननी चाहिए
ये बातें केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कहीं। वह युगांतर भारती द्वारा आड्रे हाउस में आयोजित पर्यावरण मेला के सातवें दिन पर्यावरणीय कानून एवं विषय पर सेमिनार में बोल रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए झारखंड सरकार के मंत्री और पर्यावरणविद सरयू राय ने कहा कि जंगलों में सड़क तो बननी चाहिए पर वह आवश्यकता के अनुसार बननी चाहिए। अंधाधुंध विकास के बदले जरूरत के अनुरूप विकास होना चाहिए। चीफ गेस्ट हाइकोर्ट के जस्टिस एसएन पाठक ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए प्राकृतिक संसाधन छोड़ा था। हमें भी अपनी आने वाली पीढि़यों के लिए पर्यावरण को बचाना है।