पिता अपने स्थान पर नहीं
बुधवार को एक ऐसा ही मामला फिर सामने आया, जिसमें मरीज के बेटे ने कांके थाना पुलिस के समक्ष कहा कि वो पिता को दिखाने के लिए नंबर लेने लाइन में लगा था। जब नंबर लगाकर लौटा तो पाया कि उसके पिता अपने स्थान पर नहीं हैं। इसके बाद उसने उनकी काफी खोजबीन की, मोबाइल से लोगों को उनकी तस्वीर भी दिखाई, फिर भी वो नहीं मिले। तब उसने कांके थाना में आकर मिसिंग रिपोर्ट दर्ज कराई।

रिनपास में हर महीने 1000 पेशेंट्स
रिनपास के ओपीडी में वर्ष 2017 के नवंबर-दिसंबर में एक हजार पेशेंट्स आए हैं। वर्ष 2016 में औसत 8000 पेंशेंट्स आए थे। हर महीने यहां एक हजार से ज्यादा पेशेंट्स आ रहे हैं। जीआरपी रांची, जीआरपी हटिया तथा चुटिया थाना समेत रांची के कई थानों में मरीजों के लापता होने संबंधी रिपोर्ट बोर्ड में टांगी जा चुकी हैं।

 क्षमता 500, भर्ती हैं 600 मरीज
झारखंड सरकार का मानसिक रोग अस्पताल रिनपास रोगियों की बढ़ती संख्या से परेशान है। 500 इंडोर रोगियों की संख्या वाले रिनपास में 600 रोगी भर्ती हैं, तो हर दिन ओपीडी पहुंचने वाले रोगियों की संख्या भी काफी बढ़ी हुई है। ऐसे में रोगियों के परिजनों और रिनपास प्रबंधन के बीच हमेशा रोगी को भर्ती करने के लिए तनावपूर्ण माहौल बना रहता है।

ट्रैफिक पुलिस रिनपास पहुंचाती है रोगियों को
यातायात पुलिस सड़क पर घूमने वाले मानसिक रोगियों को लगातार रिनपास भेज रही है। पुलिस कभी बंगाल, कभी ओडि़शा तो कभी बिहार के महिला-पुरुष मरीजों को रिनपास भेजती है।

दूसरों को परेशानी से बचाने की पहल
मानसिक रोगी राह चलते लोगों को परेशान न करें, उनपर पत्थर न चलाएं, इसी उद्देश्य से यातायात पुलिस की यह नई पहल शुरू हुई है। यातायात पुलिस ने पिछले सप्ताह मेन रोड से एक पुरुष मानसिक रोगी को रिनपास में भर्ती कराया था।