एक साल भी नहीं हुए कि
लास्ट ईयर पीजी उर्दू डिपार्टमेंट में पीजी डिप्लोमा इन अरेबियन लैंग्वेज और पीजी डिप्लोमा इन परसियन लैंग्वज की शुरूआत हुई थी। यूनिविर्सटी को विश्वास था इन दोनों कोर्सेज से उर्दू डिपार्टमेंट को अलग पहचान मिलेगी। पर एक सेशन भी नहीं गुजरा कि इन दोनों कोर्सेज को एक में मर्ज करने की नौबत आ गई। दोनों कोर्सेज को स्टूडेंट्स नहीं मिलना इसकी वजह है, क्योंकि फस्र्ट बैच में पर्सियन में जहां मात्र पांच स्टूडेंट्स हैं, वहीं अरबियन की 10 स्टूडेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं।

दो कोर्सेज हो चुके हैं बंद
आरयू के आईएमएस में भी स्टूडेंट्स की शॉर्टेज की वजह से मास्टर इन रुरल डेवलपमेंट(एमआरएम) और मास्टर इन एग्री बिजनेस मैनेजमेंट (एमएएम) को लास्ट ईयर बंद कर देना पड़ा था। पिछले साल एमआरएम कोर्स में जहां पांच स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया था, वहीं एमएएम में एडमिशन के लिए एक भी स्टूडेंट ने अप्लाई नहीं किया था। ऐसे में एमआरएम के स्टूडेंट्स को एंथ्रोपोलॉजी डिपार्टमेंट में चल रहे एमए इन रूरल डेवलपमेंट कोर्स में ट्रांसफर करना पड़ा था।

प्लानिंग नहीं होने का नतीजा
बिना प्लानिंग के वोकेशनल कोर्सेज को लांच करना आरयू के लिए महंगा पड़ रहा है। इसके अलावे इन कोर्सेज के लिए जो फैसिलिटीज होनी चाहिए, वह अवेलेबल नहीं कराई जाती है, साथ ही कोर्सेज में एडमिशन के लिए एडवर्टिजमेंट नहीं पब्लिश किए जाने से स्टूडेंट्स को जानकारी नहीं मिल पाती है।