RANCHI : प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलएफआई ने लेवी नहीं मिलने पर इंडियन ऑयल के लिए पाइप बिछा रही पंजाब की एक कंपनी के पांच वाहन व दो जेनरेटर को आग के हवाले कर दिया। तपकरा ओपी के अंजाम कोचा में सोमवार की देर रात ढ़ाई बजे के करीब 20 से 25 की संख्या में आए नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया। इस दौरान नक्सलियों ने विरोध करने वाले मजदूरों को जमकर पीटा। साथ ही यहां से भाग जाने की धमकी दी, वरना एक-एक को मार डालेंगे। इसकी जानकारी मिलने पर मंगलवार को डीजीपी डीके पांडेय और डीआईजी आरके धान ने घटनास्थल पर जाकर पूरे मामले की जानकारी ली.फिलहाल, पुलिस और सीआरपीएफ की एक कंपनी घटनास्थल पर कैंप कर रही है।

मिला है एक पर्चा

पुलिस के मुताबिक, जिस स्थान पर घटना को अंजाम दिया गया है, वह रनिया और तोरपा के बॉर्डर पर स्थित है। यह सुनसान इलाका है। यहां लोकल पेटी कांट्रेक्टर की देखरेख में काम करा रही है। पुलिस ने घटनास्थल से एक पर्चा बरामद किया है। पर्चे में लिखा है- लेवी नहीं देने पर घटना को अंजाम दिया गया है।

दहशत में मजदूर, डीजीपी ने बंधाया ढाढस

पीएलएफआई द्वारा सात वाहनों के फूंकने व धमकी देने से कंपनी का काम कर रहे मजदूरों में दहशत है। जब डीजीपी डीके पांडेय घटनास्थल पर पहुंचें तो वे भयभीत नजर आ रहे थे। डीजीपी ने जब उनसे इस बाबत जानकारी चाही तो वे कुछ भी बोलने से कतरा रहे थे। ऐसे में डीजीपी ने खुद वर्दी में ही उनके द्वारा बनाए गए तंबू की जमीन पर बैठ गए और उनको ढाढस बंधाया। उन्होंनेमजदूरों से कहा कि नक्सलियों की यह करतूत कायरों की निशानी है। ये नक्सली नहीं अपराधी हैं।

प्रशासन को नहीं जानकारी

तोरपा पुलिस का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि इस इलाके में पाइप बिछाने का काम कौन कौन कंपनी कर रही है। न ही पूर्व में कंपनी के किसी अधिकारी के द्वारा नक्सलियों के द्वारा तंग किए जाने की सूचना नहीं दी गई थी।

हमारा क्या कसूर, पेट पालते हैं

डीजीपी को मजदूरों ने बताया कि सोमवार की रात वे अपने-अपने तंबू में सो रहे थे। इसी दौरान 20 से 25 की संख्या में नक्सलियों ने धावा बोला। इसके बाद 10-12 नक्सली अंदर घुस गए। उन्होंने हमलोगों को उठाकर सबसे पहले मोबाइल छीन लिया। फिर, सभी को एक लाइन में खड़ा कर दिया। इसके बाद साथ लाए कंटेनर में पेट्रोल मशीनों पर डाला, और उन्हें आग के हवाले कर दिया। मजदूरों ने हुजूर, हमारा क्या कसूर, मेहनत करते हैं पेट पालते हैं। जो कमाते हैं, उसी से परिवार का खर्च चलता है।