रांची: सुसाइड और डिप्रेशन पुलिस टीम के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं। राज्य पुलिस के आला अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं कि पुलिस टीम को तनाव से मुक्त रखने का हर संभव प्रयास किया जाए लेकिन कमोबेश हर माह किसी ना किसी जिले में पुलिसकर्मियों के सुसाइड की घटना सामने आ रही है। शनिवार को गिरीडीह नगर थाना में पदस्थ एएसआई विजय तिर्की ने अपने घर के कमरे में बंद होकर फांसी लगा ली। इससे पूर्व जमशेदपुर में 10 अगस्त को बड़ा मामला सामने आया जब पुलिस लाइन में रह रहे एक एएसआइ ने खुद को गोली मार ली। यह पुलिस सुसाइड का पहला मामला नहीं है। बीते एक वर्ष के दौरान पुलिसवालों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है।

मानसिक व पारिवारिक समस्याएं

पुलिस विभाग के अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर मानसिक और पारिवारिक तनाव इस कदर हावी है कि वे अपनी जान लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। पिछले एक साल की बात करें तो करीब 10 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या कर ली। यह आंकड़ा काफी बड़ा माना जा सकता है क्योंकि अधिकतर मामलों में आत्महत्या के पीछे की वजह काम का दबाव देखा गया है।

काम का बढ़ता दबाव है वजह

पिछले एक साल के दौरान झारखंड में एक के बाद एक कई पुलिसकर्मियों ने आत्महत्या कर ली। पुलिसकर्मियों द्वारा की गयी आत्महत्या के आंकड़ों पर गौर करें तो इसकी मुख्य वजह, पारिवारिक विवाद, मानसिक तनाव और प्रेम प्रसंग को माना जा सकता है। क्योंकि कई ऐसे मामले सामने आये, जिनमें काम के दबाव और प्रेम में असफल होने की बात सामने आई है।

समाधान को चला अभियान सम्मान

झारखंड पुलिस ने 60 दिनों तक 'अभियान सम्मान' चलाया। डीजीपी एमवी राव के आदेश पर राज्यभर के सिपाही, हवलदार व चतुर्थवर्गीय पुलिसकर्मियों की समस्याओं के समाधान के लिए 'अभियान सम्मान' चलाया गया। डीजीपी के आदेश के मुताबिक, कोविड 19 ड्यूटी में झारखंड पुलिस का काम काफी सराहनीय रहा। ऐसे में पुलिसकर्मियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए उनकी समस्याओं के प्रति संवेदनशील होकर उसे सुलझाने की जरूरत है। अभियान छह अलग-अलग चरणों में 20 अगस्त तक चलेगा।

पुराने सारे दावे हवा हवाई

सिपाही और हवलदार स्तर के पुलिसकर्मियों के लिए रोजाना आठ घंटे काम और सप्ताह में छह दिनों की ड्यूटी वाली बात हवा-हवाई साबित हो गई। पूर्व डीजीपी डीके पांडेय के इस आदेश के कई महीने बीत गये, लेकिन इस आदेश का पालन ग्राउंड स्तर पर नहीं दिखा। इसकी सबसे बड़ी वजह है पुलिसकर्मियों की कमी। जब एक शिफ्ट में ही पुलिसकर्मी कम पड़ रहे हैं, तो तीन शिफ्ट में ड्यूटी कर इस आदेश का पालन करवाया जाना मुमकिन कैसे होगा।

पुलिसकर्मी कर रहे हैं आत्महत्या

10 जुलाई 2020: जमशेदपुर जिले के गोलमुरी पुलिस लाइन के फ्लैट में रहनेवाले सहायक सब इंस्पेक्टर तरुण पांडेय ने सर्विस रिवॉल्वर से सिर में गोली मार कर आत्महत्या कर ली।

14 अप्रैल 2020: जमशेदपुर के गुड़ाबांदा थाने के एएसआइ पूर्ण चंद्र मुंडा ने बैरक में अपने साथ हरि कुंवर मुंडा की एके-47 से खुद पर दो राउंड गोली चला दी थी और घायल हो गये थे।

25 अक्टूबर 2019: सरायकेला जिले के दुगनी स्थित सीआरपीएफ 196 बटालियन के कैंप परिसर में सीआरपीएफ जवान मोहम्मद सैफुद्दीन अहमद ने आत्महत्या कर ली, जवान का शव पेड़ से लटका मिला था।

12 सितंबर 2019: पटना के गर्दनीबाग थाना क्षेत्र में झारखंड पुलिस के दो सिपाहियों ने ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। महिला सिपाही नंदिनी कुमारी की मौके पर ही मौत हो गई। पुरुष सिपाही सरोज कुमार को गंभीर हालत में पीएमसीएच में भर्ती कराया गया था। दोनों देवघर जिला बल में तैनात थे।

23 अगस्त 2019: रांची बीआइटी मेसरा ओपी परिसर में मुंशी दीपक पटेल ने पंखे के सहारे फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली।

26 जून 2019: जमशेदपुर के चाकुलिया थाना में पदस्थापित एएसआइ याकूब आइंद का शव थाने के पीछे खाली क्वार्टर के बरामदे में फंदे से झूलता मिला।

12 जून 2019: गिरिडीह जिला पुलिस बल के 38 वर्षीय जवान राहुल कुमार राय ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार कर ली। कहा गया कि गोली गलती से चली थी।

26 मई 2019: पालकोट थाना में पदस्थापित जैप हवलदार संतोष कुमार महतो ने खुद को गोली मार कर आत्महत्या कर ली। हवलदार ने अपने सर्विस इंसास रायफल से खुद को तीन गोली मारी थी।