रांची (ब्यूरो)। सिटी के सबसे व्यस्त और वीआईपी इलाका कचहरी से आगे राजभवन के समीप नागा बाबा खटाल के सामने की जगह को अवैध हड़तालियों ने कब्जा कर रखा है। बीते एक साल से इस स्थान पर हड़ताल, धरना या किसी तरह का प्रदर्शन करने पर मनाही है। लेकिन अवैध हड़ताली यहां हर दिन बैठे रहते हैं। एक संगठन का धरना समाप्त होते ही दूसरा पहुंच जाता है। सबसे हैरानी की बात तो यह है कि जिन हुक्मरानों के पास इसे देखने की जिम्मेवारी है वे ही अपनी आंखें बंद किए बैठे हैं। हर दिन कोई न कोई समूह इस स्थान पर धरने पर बैठा रहता है। इन दिनों आदिवासी पारंपरिक स्वशासन के सदस्य यहां धरने पर बैठे हुए हैं। जिस जगह पर धरना पर लोग बैठते हैं। वह धरने की वजह से हमेशा बंद रहता है। आम लोग चाहकर भी आवागमन के लिए इस रास्ते का इस्तेमाल नहीं कर पाते। सालोभर रास्ते में बैरिकेडिंग लगी रहती है। साल के 365 दिन में शायद ही ऐसा कोई दिन होता है, जब राजभवन के समीप कोई राजनीतिक दल या संगठन के लोग धरने पर न बैठे हों। लेकिन इस धरना स्थल पर किसी प्रकार की कोई सुविधा नहीं होने के कारण यहां धरना देनेवाले लोगों काफी परेशानी होती है। साथ ही कचहरी से रातू रोड आने-जानेवालों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नगर निगम की ओर से यहां अत्याधुनिक धरना स्थल बनाने का फैसला लिया गया था, वो भी अधर में है।

नहीं लेते अनुमति

राजभवन के समीप धरने पर बैठने वालों में ज्यादातर लोग इसकी कोई अनुमति नहीं लेते। कुछ संगठन एक आवेदन में सारी जानकारी लिखकर डीसी और एसडीओ ऑफिस में जमा कर एक रि-सिविंग ले लेकर इतिश्री कर लेते हैं तो कोई यह भी जरूरी नहीं समझते। इन दिनों जो समूह राजभवन के समीप धरने पर बैठा है उसने किसी तरह का न तो आवेदन दिया है और न कोई अनुमति ली है। जब यहां धरने पर बैठे लोगों से पूछा गया तो बताया कि नहीं कोई अनुमति नहीं ली है। ये लोग अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं। कुछ लोगों के धरने पर बैठने से पूरे जनसमूह पर इसका असर पड़ता है। कचहरी की ओर से आने वाले लोगों को सीसीएल की तरफ जाने में जाकिर हुसैन पार्क की ओर से घूम कर जाना पड़ता है।

राज्य की छवि धूमिल

किसी भी स्टेट का गर्वनर हाउस वहां की पहचान माना जाता है। इसके आस-पास साफ-सफाई और खुला एरिया होता है। लेकिन राजधानी रांची में स्थित गर्वनर हाउस के आस-पास कुछ भी ऐसा नजर नहीं जिससे राज्य की छवि बेहतर हो सके। बल्कि छवि बिगाडऩे के सारे एलिमेंट््स यहां मौजूद है। अवैध हड़़तालियों के अलावा अवैध ऑटो चालकों ने भी राजभवन के आस-पास कब्जा कर रखा है। इसके अलावा प्रोस्टिक्यूट भी राजभवन के दीवार से सट कर ही बैठी रहती है। इस स्थान को खूबसूरत बनाने के लिए सीसीएल की ओर से पहल की गई है। यहां पर वाटर फांउटेन लगाए गए है। अवैध हड़तालियों के कारण लोग इसे भी देख नहीं पाते।

सरकार ने अलग स्थान तय किया है धरना-प्रदर्शन का

राज्य सरकार और जिला प्रशासन के सहयोग से धरना, प्रदर्शन और हड़ताल करने वालों के लिए नए विधानसभा भवन के समीप स्थान चिन्हित किया है। लेकिन कोई भी संगठन यहां जाकर धरना नहीं देना चाहता है। संगठनों का कहना है कि वहां बैठ कर सरकार के कानों तक अपनी बात नहीं पहुंचा सकते हैं। एक बड़ा सवाल यह है कि क्या राजभवन के पास धरने पर बैठकर सरकार के कानों तक बात फौरन पहुंच जाती है, और तुरंत इनकी मांगें मान ली जाती हैं। महीनों लोग धरने पर बैठे रहते हैं लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा उनसे मिलने तक नहीं आता। सिर्फ आम लोगों की परेशानी बढ़ जाती है। लोग इस सड़क का इस्तेमाल भी नहीं कर पाते। धरने की वजह से कचहरी से रातू रोड सड़क हमेशा जाम रहता है।