रांची (ब्यूरो) । प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, चौधरी बगान हरमू रोड परिसर में पवित्र धागों का त्योहार राखी अद्भूत रीति से मनाया गया। इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त करते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा यह पर्व ऐसे समय की याद दिलाता है जब परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा कन्याओं-माताओं को ब्राह्मण पद पर आसीन कर भाई बहन के संबंध की पवित्रता की स्थापना का कार्य किया जिसके फलस्वरूप सतयुगी पवित्र सृष्टि की स्थापना हुई। रक्षा बंधन केवल स्थूल तन की रक्षा का ही नहीं बल्कि आपदाओं, सतीत्व, माया के बन्धन व काल के पंजे से का प्रतीक है।

लडिय़ों की राखी

सच्ची राखी सूक्ष्म भाद्ध वृत्तियों को धार करने का है जो मन कर्म को पापों से मुक्त कर देता है। देश में आज अनेक प्रकार के पापाचार व हिंसक कार्य हो रहे हैं उनसे सर्व की रक्षा करने के लिए यह राखी बंधन का रिवाज पतित पावन परमात्मा ने पवित्रता की प्रतिज्ञा कराने वाला है। उन्होंने कहा पांच लडिय़ों की सुन्दर राखी है स्व रक्षक, कुल रक्षक, सेवा रक्षक, मर्यादा रक्षक तथा राष्ट्र रक्षक हैं। कोई भी लड़ी ढीली होने से समाज की मर्यादा भंग होकर आपसी संबंधों में विकृति आती है। ऐसे मर्यादा भंग के समय में भगवान स्वयं रक्षक बनकर आते हैं तथा मानवता के हृदय की समस्त कलुशित वासनाओं को परिष्कृत करते हैं। यह रक्षासूत्र दु:खद मानसिक ग्रथियों का निराकरण कर आत्मा की मलोन ज्योति को प्रज्वलित कर देता है।

ब्रह्मचर्य से देव हुए अमर

उन्होंने कहा की ब्रह्मचर्य के बल से ही हमारे पूर्वज देवी-देवताओं ने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर अमर देव पद प्राप्त किया था।

इस पावन बंधन को सुदुर ग्रामीण क्षेत्रों से भी अनेक भाईयों ने बँधाया। आत्मिक स्थिती में लाने के लिए सभी को तिलक लगया गया, मंगल जीवन जीने हेतु सभी का मुख मीठा कराया गया। समारोह में गीत बज रहे थे दिव्य गुणों से सजी सजायी भैया बहना राखी लायी परमापिता की ओर भैया

बंधवा लो रक्षा बंधन-मधुर - मधुर मर्यादायों का लो पहनों पावन कंगन आदि-आदि। राख के सथ दिव्य वरदानी सूत्र भी बांटे गए जिसमें लिखा हुआ था दिल साफ तो मुराद हासिल, पवित्रता ही मानव जीवन का श्रृंगार है आदि।