इसी असरे में उतरा था कुरआन इसी असरे में अल्लाह का मुकद्दस कलाम कुरान उतारा गया। इसी असरे में एक रात ऐसी है, जो एक हजार महीनों से बेहतर है। इस रात को शब-ए-कद्र कहते हैं। माह-ए-रमजान की 21, 23, 25, 27 और 29 इन पांच रातों में से कोई एक रात शब-ए-कद्र हो सकती है। शब-ए-कद्र की पहचान यह है कि जिस दिन शब-ए-कद्र होता है, उस दिन सूरज में रोशनी बहुत कम होती है। मौलाना असगर मिसबाही ने बताया कि शब-ए-कद्र में खुदा का जो बंदा अल्लाह की इबादत करता है, उसे एक दिन में 83 साल की इबादत करने का शवाब मिलता है। इस समय आसमान से फरिश्ते आते हैं। रमजान के अलविदा जुम्मे की नमाज फ्राइडे को अता की जाएगी।
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