रांची (ब्यूरो)। पिछले साल अक्टूबर में वल्र्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ)ने राज्य के सबसे प्रदूषण वाले शहरों की लिस्ट जारी की थी, जिसमें रांची टॉप पाल्युटेड शहरों में पांचवें स्थान पर थी। रांची की आबोहवा खराब हो रही है। शहर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नगर विकास विभाग ने रांची नगर निगम को 25 करोड़ रुपए दिए हैं। इससे रांची नगर निगम शहर की हवा में जो प्रदूषण का लेवल बढ़ा है उस पर काम कर रहा है। रांची नगर निगम प्रदूषण कम करने की तैयारी में जुट गया है।

नगर विकास ने जारी की राशि

रांची नगर निगम को राजधानी की हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए 25 करोड़ रुपए आवंटित किया गया है। इस संबंध में नगर विकास विभाग ने आवंटन आदेश जारी किया है। 15वें वित्त आयोग के अधीन इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य के तीन मिलियन प्लस सिटी रांची, धनबाद, मेदिनीनगर व जमशेदपुर को राशि दी जाती है। केन्द्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष टाइड फंड से हवा की गुणवत्ता सुधारने के लिए 261 करोड़ का बजटीय उपबंध किया है। इसी आलोक में राज्य अंतर्गत रांची को 25 करोड़ दिए गये हैं।

रांची के बाद जमशेदपुर

प्रदूषण बोर्ड के सूचकांक में जमशेदपुर सबसे प्रदूषित शहर था। वहां की हवा रांची से भी खराब है। केन्द्र सरकार ने इसके बाद राज्य सरकार को एक्शन प्लान तैयार करके काम करने को कहा है। वायु प्रदूषण के सभी मानक चिह्नित कर काम करने का निर्देश दिया है। हवा की गुणवत्ता की मॉनिटरिंग का दायरा बढ़ाने, उद्योग, वाहन, सड़क के धूल-कण, निर्माण गतिविधि, घरेलू फ्यूल, डीजी सेट से निकलने वाले प्रदूषण का अध्ययन कर लंबे समय का प्लान तैयार करने को कहा है। राज्य सरकार इसी के तहत कार्य योजना तैयार कर हवा को शुद्ध करने की दिशा में कार्य करेगी।

धनबाद पॉल्यूशन में नंबर 1

पिछले साल अक्टूबर महीने में डब्लूएचओ द्वारा झारखंड में प्रदूषण को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। 2022 की प्रदूषण जांच रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में धनबाद को बताया गया है। जबकि झारखंड के 43 छोटे-बड़े शहरों में रांची को पंचावें नंबर पर बताया गया है। रांची की अवोहवा अब पूरी तरह से दूषित हो चुकी है।

लंग्स पर पड़ रहा असर

नगर निगम क्षेत्र में रहने वाले लोग अपने घर में ही प्रदूषित हवा में संास ले रहे हैं। लंग्स पर इसका इफेक्ट पड़ रहा है। यह शरीर के लिए काफी हानिकारक है। इससे लोगों की उम्र लगभग 10.15 वर्ष घट जा रही है। लोग प्रदूषित धुआं लेकर लंग्स से संबंधित बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इससे राज्य में लगातार लंग्स से संबंधित मामले बढ़ रहे हैं। रांची की हवा काफी प्रदूषित हो गई है। पहले लंग्स से संबंधित बीमारियां 50 की उम्र के बाद लोगों में पाई जाती थी, पर अब 30 साल में ही लंग्स से संबंधित मामले सामने आ रहे हैं।

सिटी में पॉल्यूशन के कई कारण

-कारखानों से निकलने वाली जहरीली गैस

-नए भवन, फ्लाईओवर व पुल-पुलिया का निर्माण

-वाहनों का दूषित धुआं

-झिरी डंपिंग यार्ड से निकलने वाला धुआं

गाडिय़ों से फैल रहा प्रदूषण

शहर में प्रदूषण फैल रहा है, लेकिन इसको लेकर प्रशासन कितना अलर्ट है इसी से पता चलता है कि अधिकतर गाडिय़ों में खासकर बाइक में पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं है। बाइक की जांच के दौरान अधिकतर लोगों के पास इंश्योरेंस, लाइसेंस और गाड़ी के मुख्य पेपर मिल जाते हैं पर प्रदूषण का पेपर नहीं होता है। अगर किसी बाइक चालक के पास प्रदूषण का पेपर होता भी है तो वह फेल होता है।

पेट्रोल पंपों के जांच केंद्र बंद

रांची के अधिकतर पेट्रोल पंपों पर मौजूद प्रदूषण जांच केंद्र बंद पड़े हैं। पंप संचालकों ने बताया कि प्रदूषण को लेकर जब अभियान चलाया गया था तब प्रदूषण बोर्ड द्वारा पेट्रोल पंप पर बाइक का प्रदूषण पेपर बनाया जा रहा था। अब पेपर बनना बंद हो गया है। अब सिर्फ चुनिंदा जगहों पर ही प्रदूषण के पेपर बन रहे हैं। प्रदूषण का पेपर छह माह के लिए ही निर्धारित किया जाता है। अब लोगों की इस ओर रुचि नही हैं, क्योंकि इस दिशा में जांच ही बंद हो गई है।