RANCHI: रांची में सफाई का जिम्मा नगर निगम ने एजेंसी को दे रखा था। इसके बाद एजेंसी ने शहर में सफाई भी शुरू की। लेकिन आजतक सफाई करने वाली गाडि़यों की जीपीएस से मॉनिटरिंग ही नहीं की जा सकी। जिससे कि यह पता लगाना मुश्किल हो रहा था कि गाडि़यां किस इलाके को कवर कर रही हैं। वहीं घरों से कचरा का उठाव हो रहा है या नहीं। इस चक्कर में दो साल गुजर गए। इसके बाद भी एजेंसी ट्रैक पर नहीं लौट पाई। हालांकि शनिवार को एजेंसी को हटाने का निर्णय ले लिया गया है।

इंदौर ने एजेंसी को नहीं दिया काम

स्वच्छता में टॉप आने वाले शहर इंदौर ने शहर की सफाई के लिए किसी एजेंसी को हायर नहीं किया। वहां के नगर निगम के अधिकारियों और सफाई कर्मियों की मेहनत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है। उन्होंने शहर को साफ बनाने के लिए कड़ी मेहनत की। वहीं वेस्ट के डिस्पोजल के लिए भी लोकल लेवल पर प्लानिंग कर रखी है। इससे घरों से निकलने वाला कचरा भी वहीं डिस्पोजल किया गया।

काम न आया करोड़ों खर्च, रैंकिंग भी फिसली

एसेल इंफ्रा की आरएमएसडब्ल्यू को नगर निगम ने काम दिया। इसके लिए नगर निगम ने करोड़ों रुपए भी खर्च डाले। लेकिन सबकुछ धरा का धरा रह गया। इतना ही नहीं करोड़ों खर्च करने के बाद भी रैंकिंग पिछले साल की तुलना में और नीचे चली गई। पिछले साल रांची की रैंकिंग जहां 21 थी वह इस साल लुढ़ककर 46 हो गई।