RANCHI: राजधानी में साफ-सफाई व्यवस्था एकबार फिर ध्वस्त हो चुकी है। अब तो नगर निगम जरूरी संसाधनों के रहने के बावजूद सफाई ढंग से नहीं कर पा रहा है। सिटी के कई इलाकों में गंदगी का अंबार लगा है। हालात यह है कि पास से गुजरने वालों को अपनी सांसें रोकनी पड़ रही है। इसके अलावा लोगों के पास और कोई चारा भी तो नहीं है। इतना ही नहीं कई दुकानों के बाहर भी नर्क जैसी स्थिति हो गई है। इससे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि नगर निगम ने इसी काम के लिए सैकड़ों गाडि़यां और मजदूरों को लगा रखा है। ऐसे में सिटी की पब्लिक पूछ रही है कि हमारा शहर स्मार्ट कब होगा।

सफाई को एजेंसी फाइनल नहीं

नगर निगम ने फिलहाल सफाई की कमान संभाल रखी है। इससे पहले सिटी की सफाई का जिम्मा प्राइवेट एजेंसी आरएमएसडब्ल्यू का था। सफाई व्यवस्था सुधारने में जब एजेंसी फेल हो गई तो नगर निगम बोर्ड ने एजेंसी को हटाने का प्रस्ताव दिया। इसके बाद एजेंसी को काम से हटाते हुए निगम ने अपने हाथों में काम ले लिया। इस बीच नई एजेंसी के सेलेक्शन को लेकर टेंडर प्रोसेस किया गया, जिसमें एक एजेंसी को टेंडर में चुना भी गया। इसके बाद फाइल नगर विकास विभाग में भेज दी गई, लेकिन छह महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी आजतक एजेंसी फाइनल नहीं हो पाई।

संसाधन भरपूर फिर भी गंदगी

रांची नगर निगम में 53 वार्ड हैं, जिनमें दो लाख से अधिक हाउस होल्डर्स हैं। इस पूरे एरिया को कवर करने के लिए नगर निगम के पास 300 गाडि़यां और 2000 से अधिक मजदूरों को लगाया गया है। इसके अलावा सेनेटाइजेशन और छिड़काव को देखते हुए मजदूरों की संख्या भी बढ़ाई गई है, ताकि किसी भी हाल में कोई इलाका न छूट जाए, लेकिन इतने संसाधन और मैनपावर के बावजूद कचरा जमा होना समझ से परे है।

कुछ दिनों में ही व्यवस्था बेपटरी

स्वच्छता सर्वे के समय शहर की सफाई व्यवस्था देखने लायक थी। वहीं कोरोना में भी एक समय ऐसा था कि हर जगह से कचरा उठाया जा रहा था, लेकिन कुछ दिनों की व्यवस्था ठीक रहने के बाद बेपटरी हो गई। आज गाडि़यां कचरा उठाने को नहीं आ रही है तो देखने वाला भी कोई नहीं है। इससे यह तो साफ है कि जब दिखाना होता है तो शहर को निगम चकाचक कर देता है। इसके कुछ समय बाद व्यवस्था पहले जैसी हो जाती है। यही वजह है कि वेस्ट डिस्पोजल को लेकर भी योजना अधर में लटक गई।

पब्लिक ने बताई परेशानी

सफाई की हालत बहुत खराब है। कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाए तो हर जगह कचरा दिखाई दे रहा है। नगर निगम को हर दिन कचरे का उठाव तो करना चाहिए। केवल घरों से कचरा उठाने से काम नहीं चलेगा। मार्केट में कचरा साफ दिखता है। घरों का कचरा नहीं उठने पर लोग कुछ दिन तो घरों में रख लेते हैं, लेकिन ज्यादा दिन होने पर कचरा बाहर फेंक देते हैं।

-सुमित केसरी

एजेंसी के काम से नगर निगम को दिक्कत आ रही थी। तब एजेंसी को हटाकर काम अपने हाथों में ले लिया। इसके बाद जब सर्वे शुरू हुआ तो देखकर लगा कि सही में हमारी सिटी साफ हो गई है, लेकिन यह व्यवस्था कुछ समय के लिए ही थी। इसके बाद तो स्थिति खराब होती जा रही है।

-राकेश सिंह