रांची(ब्यूरो)। झुलसा देने वाले गर्मी के बीच रह-रह कर आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। शहर में लगातार किसी न किसी इलाके से आगलगी की शिकायतें सामने आ रही हैं। आग लगने की सबसे बड़ी वजह शार्ट सर्किट मानी जाती है। गर्मी के मौसम में अक्सर आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। दुकान, मार्केट, शॉपिंग मॉल आदि स्थानों में पहले भी कई बार आग लगती रही है। आग जलकर बुझ तो जाती है, लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी होती है। कहीं लाखों तो कहीं करोड़ों रुपए का नुकसान हो जाता है। राजधानी रांची में कई शॉपिंग मॉल हैं जहां फायर सेफ्टी के बंदोबस्त तो हैं लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में फायर सेफ्टी के टूल डैमेज होते जा रहे हैं। यदि इन मॉल में कभी आगलगी की घटना हुई तो सेफ्टी किट को स्टार्ट करते करते सब कुछ जलकर राख हो जाएगा। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सिटी में स्थित शॉपिंग मॉल में फायर सेफ्टी की पड़ताल की, जिसमें फायर एक्सटिंग्विशर दिखा ही नहीं, तो कहीं इसे अपडेट ही नहीं कराया गया है। किसी भी शॉपिंग मॉल में रोजाना सैकड़ों लोग शॉपिंग करने आते हैं। आग लगने पर यहां बड़ा हादसा हो सकता है। हर दिन करोड़ों का कारोबार करने वाले इन शॉपिंग मॉल में लोगों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।

तुरंत काबू पाने की व्यवस्था नहीं

किसी भी शॉपिंग मॉल में आग लगने पर फौरन काबू पाने की कोई व्यवस्था नहीं है। फायर सेफ्टी के लिए टूल तो लगे हैं। लेकिन वह भी हाथी के दांत के समान हो गए हैं। कहीं एक्सपायर हो चुके फायर एक्सटिंग्विशर लगे हैं तो कही पाइपलाइन की चाबी में जंग लग गई है। इसके अलावा पाइप भी कई स्थानों से फट चुकी है। शॉपिंग कॉम्पलेक्स की डेंटिंग-पेंटिंग तो होती है। लेकिन फायर सेफ्टी उपकरण की रिपेयरिंग या इसकी साफ-सफाई भी नहीं की जाती। इसको लेकर न शॉपिंग कॉम्प्लेक्स वाले गंभीर हैं और न ही संबंधित विभाग के अधिकारी। जबकि अगलगी की स्थिति में तुरंत काबू पाने व तत्काल बचाव कार्य चलाने और लोगों को अवेयर करने के नाम पर कई सेमिनार व बैठकें होती रहती हैं।

स्पॉट-1: रोस्पा टावर

मेन रोड स्थित रोस्पा टॉवर में दर्जनों दुकानें हैं। हर दिन सैकड़ों लोग यहां शॉपिंग करने आते हैं। लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि हर दिन लाखों रुपए का कारोबार करने वाले इस शॉपिंग मॉल में एक भी फायर एक्सटिंग्विशर ही नहीं है। पूरे कांप्लेक्स में इलेक्ट्रिक वायर इधर-उधर फैले हुए हैं। फायर सेफ्टी की पाइप कहीं नजर ही नहीं आती। आम पब्लिक यदि आग लगने पर इसका इस्तेमाल करना चाहे तो वह उन्हें मिलेगा ही नहीं।

स्पॉट-2: चर्च कॉम्पलेक्स

चर्च कॉम्प्लेक्स में काफी दुकाने हैं। सैकड़ों लोगों का रोज यहां आना-जाना है। लिफ्ट भी है, यहां पर फायर एक्सटिंग्विशर है, लेकिन अपडेट नहीं है। पाइप में जंग लग चुकी है। जरूरत पडऩे पर खोलने में काफी परेशानी हो सकती है। इसके अलावा उपकरण के बॉक्स विज्ञापन करने के काम आ रहे हैं। मॉल संचालक से लेकर यहां के दुकानदार भी इस बात को लेकर गंभीर नहीं हैं।

स्पॉट 3: पंचवटी प्लाजा

सात मंजिली पंचवटी प्लाजा में फायर सेफ्टी को लेकर कोई विशेष इंतजाम नहीं है। फायर एक्सटिंग्विशर तो लगा है लेकिन वह काफी पुराना हो चुका है। यह उपकरण फस्र्ट फ्लोर के कमरे में बंद रहता है, जिसकी देखभाल नहीं होने से इसकी स्थिति खराब हो रही है। पाइप भी पुराने हो चुकी है। कई जगह फट भी गई है। यहां दर्जनों शोरूम और ऑफिसेज हैं। कई लोग यहां आते-जाते रहते हैं। लेकिन यहां पर फायर सेफ्टी को लेकर कोई ख्याल नहीं रखा गया है।

स्पॉट 4: गोपाल कॉम्प्लेक्स

शहीद चौक स्थित श्री गोपाल कॉम्पलेक्स की भी यही कहानी है। यहां भी फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर हो चुके हैं। ये चलने लायक भी नहीं हैं। गोपाल कॉम्पलेक्स में आग लगने की घटना पहले भी हो चुकी है। इसके बावजूद न मैनेजमेंट और न ही किसी दुकानदार ने इसके बचाव के उपाय किए। गोपाल कॉम्प्लेक्स में ग्राउंड फ्लोर व इससे ऊपर के चार तल्ले पर मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स है। इससे ऊपर के चार तल्ले पर आवासीय फ्लैट भी हैं।

स्पॉट 5: हरीओम टॉवर

लालपुर स्थित हरिओम टावर में हर फ्लोर पर फायर एक्सटिंग्विशर है, लेकिन सिर्फ नाम का। सब के सब एक्सपायर हो चुके हैं। फायर सेफ्टी के लिए लगी पाइप भी कई जगहों पर फट गई है। लोहे की पाइप में जंग भी लग चुकी है। लिहाजा यहां पर किसी तरह की अगलगी जैसी घटनाएं होती हैं, तो तत्काल राहत और बचाव कार्य के लिए कोई मुकम्मल इंतजाम नहीं है।

नगर निगम व फायर सेफ्टी विभाग भी बेपरवाह

सिटी के पुराने शॉपिंग मॉल में कहीं आग से लडऩे के इंतजाम नहीं हैं। आग लगने की स्थिति में सिर्फ और सिर्फ फायर डिपार्टमेंट की गाड़ी का इंतजार करना होगा। गाड़ी के आने के बाद ही आग पर काबू पाया जा सकता है। जबकि हर शॉपिंग मॉल, ऊंचे भवन, अपार्टमेंट को सारे उपकरण लगाने अनिवार्य हैं। अन्यथा इन पर नगर निगम कार्रवाई कर सकता है। लेकिन नगर निगम को भी इससे कोई मतलब नहीं है। बिना भौतिक सत्यापन किए नगर निगम एनओसी जारी कर देता है। सिटी के लगभग सभी मॉल और अपार्टमेंट ने निगम से एनओसी सर्टिफिकेट ले रखा है। फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट की ओर से भी कोई पदाधिकारी कभी इसकी निगरानी नहीं करता है। नुकसान होने के बाद कुछ दिनों तक मामले की जांच होती है। फिर हालत पहले जैसी ही हो जाती है।