रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची के लोग साइबर क्रिमिनल्स के निशाने पर हैं। आलम यह है कि बीते पांच साल में राज्य भर में सबसे ज्यादा साइबर क्राइम राजधानी रांची में ही हुए हैं। हाल के कुछ वर्षों में साइबर क्राइम खासकर रांची पुलिस के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। वैसे तो झारखंड के चार जिले जामताड़ा, धनबाद, गिरिडीह और देवघर को साइबर फ्रॉड के लिए जाना जाता है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि राज्य में सबसे ज्यादा राजधानी वासी साइबर अपराधियों के निशाने पर हैं।
आंकड़े भयावह
वर्ष 2023 में अब तक थानों में दर्ज केस के अनुसार, सभी तरह के अपराधों में रांची पूरे राज्य में सबसे ऊपर है। अपराध अनुसंधान विभाग (सीआईडी) के अनुसार झारखंड में सबसे अधिक अपराध ठगी के ही हुए हैं। सिटी के अलग-अलग थानों में साइबर ठगी के1420 केस दर्ज हुए हैं। वहीं साइबर अपराध में भी रांची पहले नंबर पर है। पिछले पांच वर्षों में झारखंड में साइबर अपराध के 5,350 मामले सामने आए हैं, इनमें 1420 सिर्फ रांची में ही दर्ज हुए हैं। ये आंकड़े बताते हैं कि रांची साइबर अपराधियों के लगातार निशाने पर है, और अलग-अलग तरीके अपनाकर वे शहर वासियों को टारगेट कर रहे हैं।
कोरोना काल में आई तेजी
कोरोना काल में जब पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति थी। उस वक्त साइबर अपराध में तेजी आई। 2019 में सबसे अधिक साइबर अपराध के मामले दर्ज हुए। क्योंकि उस दौरान मोबाइल फोन और इंटरनेट का इस्तेमाल काफी बढ़ गया था। इस दौरान 482 मामले सामने आए। वहीं, इधर महज आठ महीने में साइबर फ्रॉड के 138 केस दर्ज किए गए हैं। साल 2020 में 286, 2021 में 257, 2022 में 257 मामले साइबर फ्रॉड के दर्ज किए गए। साल दर साल इसमें लगातार इजाफा हुआ है। लोगों की जरा-सी चूक साइबर अपराधियों के लिए अवसर में बदल जाता है। मैसेज, व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम, फेसबुक आदि हर तरीके से साइबर अपराधी लोगों तक पहुंचना चाहते हैं। जैसे ही कोई उनके झांसे में आता है, उनके जीवन भर की जमा पूंजी लूट ली जाती है।
बढ़ती जा रही पेंडेंसी
सिटी में जिस स्पीड में साइबर अपराध के मामले दर्ज हो रहे हैं, उस गति से इनका निपटारा नहीं हो पा रहा है। रांची में बीते पांच साल में 1420 साइबर मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 1089 मामलों का निपटारा अबतक नहीं हुआ है। सिर्फ 331 केस का ही निपटारा करने में पुलिस को सफलता मिली है, जो यह साबित करता है कि साइबर अपराधी पुलिस से ज्यादा शातिर हैं, और उनसे एक कदम आगे की सोच रखते हैं। हालांकि, अब पुलिस को भी इसके लिए ट्रेंड किया जा रहा है। साइबर अपराध के अलग-अलग तरीके की स्टडी करके उसकी रोकथाम और पीडि़त की मदद करते हुए अपराधियों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे कैसे भेजा जाए, इस पर पुलिस की स्पेशल टीम काम कर रही है। दूसरे राज्यों से टेक्नीकल एक्सपर्ट बुला कर पुलिस कर्मियों का वर्कशॉप कराया जा रहा है। इधर कुछ दिनों से इसका असर भी देखा जा रहा है। सीआईडी ने कई साइबर अपराधियों को दबोचा है।
फौरन डायल करें 1930
साइबर अपराध रोकने के लिए टोल फ्री नंबर 1930 जारी किया गया है। एटीएम बदलकर रुपए निकालना, मोबाइल पर फोन कर खाता नंबर, आधार नंबर या अन्य जानकारी लेकर पैसे निकालना, झूठे लोन का भरोसा देकर ठगी करना, मैसेज कर ठगी करने के लिए झूठे एप डाउनलोड करवाना, मैसेज देकर ओटीपी नंबर पूछना, ऑनलाइन शॉपिंग, कस्टमर केयर आदि किसी भी तरीके से ठगी होने पर फौरन इसकी सूचना टोल फ्री नंबर 1930 देनी चाहिए। शिकायत दर्ज होते ही इसकी जानकारी संबंधित थाने को दे दी जाती है।
फैक्ट फाइल
साल साइबर क्राइम
2019 482
2020 286
2021 257
2022 257
2023अब तक 138साइबर फ्रॉड के सभी लंबित मामलों का निपटारा कराया जा रहा है। इसके लिए सिटी एसपी को निर्देशित किया गया है। कई अपराधियों को पकड़कर उन्हें सलाखों के पीछे भेज दिया गया है।
-अनुराग गुप्ता, डीजी, सीआईडी