क्त्रड्डठ्ठष्द्धद्ब : सिटी में कोरोना केसेज तेजी से बढ़ रहे हैं। नए मरीजों में ज्यादातर सिंप्टोमैटिक हैं। इसके बावजूद सिटी के लोग सिंप्टम्स होने की जानकारी छिपा रहे हैं। इतना ही नहीं, टेस्ट कराने के बजाय घरों में रहकर इलाज कराने में अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। इस बीच जब स्थिति खराब हो रही है तो इलाज के लिए हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं। जहां टेस्ट के बाद पता चल रहा कि वे पॉजिटिव हैं और अबतक न जाने कितने लोगों को बीमारी बांट चुके होते हैं। वहीं, कई लोग तो जानबूझ कर सिंप्टम्स के बावजूद घर में बैठे हैं कि कहीं लोग उनकी कंप्लेन न कर दें। बतातें चलें कि वायरस की चपेट में आने के बाद, इसके लक्षण दिखाई देने में आमतौर पर 5-6 दिन लग जाते हैं। हालांकि, कुछ मामलों में लक्षण दिखने में 14 दिन भी लग सकते हैं। ऐसे में रिपोर्ट में देरी भी बीमारी को बढ़ा सकती है।

रिपोर्ट मिलने में देरी से परेशानी

रिम्स, सदर के अलावा सिटी के कई सेंटरों में कोविड सैंपल कलेक्शन का काम किया जा रहा है। इसके बाद 9 दिनों तक लोगों को रिपोर्ट का कुछ पता ही नहीं चल पा रहा है। रिपोर्ट काउंटर और वेबसाइट पर खंगालने के बाद भी नहीं मिल रही है। इस चक्कर में लोग इलाज कराने भी नहीं जा रहे हैं कि उन्हें सच में कोरोना है या केवल लक्षण है। कई लोगों की बीमारी इस वजह से भी बढ़ रही है।

इनकी घर में बिगड़ी स्थिति

किशोरगंज में ए कुमार के परिजन को कोरोना के सिंप्टम्स थे। उन्होंने घर में रहना उचित समझा। इस बीच ऑक्सीजन लेवल डाउन होने लगा तो तत्काल आक्सीजन की व्यवस्था की गई। टेस्ट में पता चला कि वे पॉजिटिव हो गए हैं। अब तो उन्हें कहीं बेड भी नहीं मिल पा रहा है तो घर में ही आइसोलेशन में हैं। मोरहाबादी में भी एक महिला को लंबे समय से बुखार आ रहा था। हल्की खांसी भी थी और गले में खरास की समस्या हो रही थी। उन्होंने टेस्ट कराने का सोचा लेकिन जा नहीं पायीं। जब टेस्ट कराया तो उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गयी। एक हफ्ते तक प्रॉपर मेडिसीन नहीं लेने से उनकी स्थिति खराब हो गयी। फिलहाल होम आइसोलेशन में उनका इलाज चल रहा है।

इन बातों का रखें ध्यान

बुखार

सूखी खांसी

थकान

खुजली और दर्द

गले में खरास

दस्त

आंख आना

सिरदर्द

स्वाद और गंध का पता न चलना

सांस लेने में दिक्कत या सांस फूलना

सीने में दर्द या दबाव

बोलने या चलने-फिरने में असमर्थ

लक्षण इग्नोर करना पड़ेगा भारी